Wednesday, 4 November 2020

Student struggle story in hindi | motivational story for student | संघर्ष ही जीवन हैं

 Student struggle  story in hindi | motivational story for student | संघर्ष ही जीवन है 
Student struggle  story in hindi | motivational story for student | संघर्ष ही जीवन हैं

Aaj ki yah kahani ek aise student per hai jiski life me bahot struggle hai. Jisne kabhi bhi ye nahi socha tha ki usse bhi kabhi apni life me khud ko prove karna hoga..........

Because ushe bacchpan se hi shirf yah kaha jata tha ki tumhe kabhi bhi job karne ki koi jarurat nahi hogi.

Or na hi tum kabhi koi kam karne bahar jaoge tumhe bas apni study puri karni hai or ghr me rehna hai...

Student struggle  story in hindi | motivational story for student | संघर्ष ही जीवन हैं


मेरा नाम सूरज है। जिन्दगी क्या है ? कैसी है ? कैसे जीना है?और कैसे आगे बढ़ना है ? ये सवाल हर लोगों के मन में आता है, लेकिन इसका जवाब तभी मिलता है जब हम कुछ कर गुजरने और खुद को साबित करने में लग जाते है।

अब बात करें अपने पढ़ने लिखने की उम्र की तो ज्यादा तर बच्चे मेरे  जैसे होते है। " क्या करना है पढ़ लिख कर जीवन तो वैसे भी कट ही जाता है, और आए खाली हात थे जाना भी खाली हात है, तो जब तक जी रहे हैं मज़े से जिलों"।

और वहीं दूसरी तरफ वो बच्चे जो अपने आने वाले कल की तैयारी आज से ही कर रहे हैं, मेहनत से पढ़ना स्कूल में सबसे first rank से पास होना, और साथ ही साथ वो सारी चीजेंं भी सीखते हैं जो उन्हें आगे जा कर काम आने वाली है।

Normal student school life मे study करने के बजाये दोस्ती करने, खेलने, और घूमने फिरने में अपना सारा बचपन बिता देते है, जिसके चलते आगे जीवन में उन्हें बहुत से परेशानी आने लगती है। उन ही में से एक मैं भी था।

 बचपन में कहा इतना दिमाक होता था। कि ये समझ सके कि जो हम कर रहे हैं वो सही है या गलत, जैसे - जैसे उम्र बढ़ती है। समझ आने लगता है जो सब करें वो नहीं करना चाहिए था।

वहीं समय था पढ़ाई कर लेनी चाहिए थी। अगर उस वक़्त अच्छे से पढ़ लिया होता तो आज इतना परेशान नहीं होना पड़ता।

इतना struggle नहीं करना होता। और ना ही किसी से खुद के लिए किसी काम की माँग करनी पड़ती, फिर हमें अपनी सारी गलतियों का एहसास होने लगता है।

लेकिन अब जो वक़्त बीत गया तो उसे फिर से तो लेके नहीं आ सकते। "गलती में की गई गलती गलती होती है। गलतियों से इंसान सीखता है"।

मैंने भी सिखा 
Student struggle  story in hindi | motivational story for student | संघर्ष ही जीवन हैं

वक़्त किसी के लिए नहीं रुकता तो मेरे लिए क्यों रुकेगा। अब मुझे खुद से खुद को prove करना था। और ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा फैसला था। और खुद को challenge किया था मैंने।

मैंने सोचा कुछ समय job करके life को आगे लेके जायेंगे।फिर मै अपनी पढ़ाई पूरी होते ही, interviwe की तैयारी करने लगा।

अलग - अलग जगह जाके interviwe देने लगा लेकिन कहीं भी कोई बात नहीं बनी, और ना ही कहीं मुझे काम मिला मैं अपनी जिन्दगी से नीरस होने लगा। 

मैं हर रोज घर से निकल जाता job की तलाश में और हर जगह से निराश होके बाहर आ जाता , कोई job मुझे नहीं जमती तो कहीं मुझे ही नहीं लिया गया।

 मैं खुद को इतना बेकार समझने लगा था, उस वक़्त की मुझे बस ऐसा लगने लगा था जैसे इस पूरी दुनिया में मुझसे ज्यादा परेशान इंसान और कोई नहीं होगा , दुनिया की सारी मुसीबत बस मेरे पास ही आगई है।

 मुझे कुछ भी समझ  नहीं आरा था में क्या करुँ, फिर मैंने खुद का कुछ करने  सोचा और में बहुत से जगह घूमा और देखने लगा किस जगह लोग सबसे ज्यादा आते जाते है।

और अपनी भूख को मिटाने के लिए लोग कैसे जगह पर खाना पसंद करते है, फिर काफी मेहनत के बाद मुझे एक सही जगह मिली और मैंने अपने दोस्तों से कुछ पैसे उधार लिए और एक छोटा सा food stole ख़रीदा और food shop चालू कर दिया।

Student struggle  story in hindi | motivational story for student | संघर्ष ही जीवन हैं

अब ये सब इतना आसान नहीं था। चालू तो हो गया लेकिन मेरे shop पर कोई आ ही नहीं रका था, क्योकि मैं एक पढ़ा लिखा लड़का लग रहा था। सभी बस मुझे देखते और चलें जाते।

रोज घर से निकल के shop opne करने चला जाता, कभी कुछ सामान इसके पास रख दिया करता तो कभी उसके पास अपने घर में ये सारी बात नहीं बताया था मैंने क्योकि मुझे पता था सभी बस हसने वाले है मुझपे और फिर वहीं बस कहने लगेंगे "की तुमसे कहा गया था तुम घर में रहो फिर भी तुम ये सब कर रहे हो।

इसलिए मैंने चुप रेहना ही बेहतर समझा और अपने काम पर ध्यान देता था। और खुद को रोज motivate करता था।

कई दिनों मैं बस अपना shop opne करता और रात में close कर देता। एक पैसे की कमाई नहीं हो रही थी। फिर दिल नीरस होने लगा था। और मन में पछ्तावा था काश बचपन में पढ़ाई कर लिया होगा।

फिर भी खुद को संभाल कर जो मै कर रहा था उसमें पूरा मन और दिल लगाने लगे , कई दिनों तक तो किसी ने मेरे shop से कुछ नहीं लिया और ना ही किसी ने खाकर देखा।

मानो जैसे इतना सब कम था, कि एक और नई परेशानी आ गई मेरे काम का पता मेरे घर वालोंं को चल गया। दुःख हो रहा था अब पता नहीं क्या सोचने वाले है सब मेरे बारे में "मैं पूरा डरा हुआ था"!

फिर जैसे तैसे मैंने खुद को समझाया और घर गया। सब बस मुझे गुस्से से देखने लगे और पागल कहने लगे, सभी घर वालोंं ने मुझे कहा अगर तुम्हें ये सब करना है तो तुम घर से निकल जाओ।

अब मेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं था , मै अपना सारा सामान लिया और वहां से चला गया, जाते - जाते बस इतना बोला अब आप सभी के पास तभी आऊँगा जब मैं खुद को prove कर दूँगा।

मेरे घर वालों ने भी मुझे पागल केहना शुरू कर दिया, और सब दोस्त मुझपे हसने लगे। सब बस ये कहते की " तू पागल है इतना पढ़ा लिखा है फिर भी ये गवारो वाला काम कर रहा है।

तू कभी भी कुछ नहीं कर सकता अपनी जिन्दगी में लेकिन में किसी की कोई बात का जवाब नहीं देता था। बस इतना सोच कर रखा था, जो गलतियां मैंने बचपन में करी थी वो सारी गलती फिर से नहीं करना चाहता ।

धीरे - धीरे मेरे शॉप पर लोग आने लगे और मेरे हाथ के टेस्ट सभी को  पसंद आने लागा खाने के बाद तारीफ भी करते और अपने घर के लिए भी pack करवा के लेके जाने लगे 

देखते ही देखते मेरा एक छोटा सा शॉप एक hotel बन गया , और आज  एक risk के वजे से वो सब हाशिल कर पाया जो मैंने कभी सपने देखें थे।

जीवन एक संघर्ष है जब तक life है तब तक किसी  भी परेशानी से हार नहीं मानना चाहिए , और हर problem का डट के सामना करना चाहिए।

मैंने भी अपनी जीवन में यही सिखा है।  आज मेरा एक छोटा सा शॉप कई सारे अलग - अलग शहर में एक बड़े -बड़े hotel में बदल चुका है। और यह सब बस मेरी मेहनत और भरोसे के वजे से मेरा सपना आज सच हुआ है।

मै आप सभी student से बस इतना ही कहना चाहता हु की बचपन में भले ही हम अपनी study पर ध्यान नहीं देते वो अपनी गलती होती है।

मैं ये नहीं केहता की बस पढ़ें लिखें और अच्छे smart बच्चे और student ही  सब कुछ कर सकते है। मेहनत और भरोसा है तो कोई भी इंसान सब कुछ कर सकते है।

"सपने देखना कोई बड़ी बात नहीं उसे सच कर दिखाना बहुत बड़ी बात होती है" ।

ये कहानी लिखने का एक ही मकसत था। कि ज़िन्दगी मिली है तो उसे युहीं ही न जाया करो मेहनत इतनी करो कि ऊपर वाला भी आप का नसीब खुद बदले और कहे जो मै तुझे देराहा हु तू उसका हक़दार है।

कोई काम छोटा नहीं होता बस शुरू करने की देरी है। वैसे भी हम भी तो छोटे से ही इतने बड़े होते है ना या फिर सीधा बड़े ही आते है इस दुनिया में बचपन में एक एक कदम पर गिरते हैं फिर भी खुद से संभाल जाते थे।

ऐसा ही हमारा student life होता है इस टाइम हमने struggle कर लिया तो समझ जाओ पूरी life आराम है। 

आज मेरे घर वाले मुझपे प्राउड फील करते है क्योंकि मैंने खुद को साबित किया। study हमारी ज़िन्दगी का एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट पार्ट है , इसलिए हमें अपने student life मे हर समय अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।

कहानी अच्छी लगी तो plzzz share जरूर करना और  Student struggle  story in hindi | motivational story for student | संघर्ष ही जीवन हैं कैसी थी comment में जरूर बताए

यह भी जरूर पढ़िए पसंद आएगी.



Friday, 9 October 2020

(हिंदी कहानियाँ) Hindi story

 Hindi story हिंदी कहानियाँ 

(हिंदी कहानियाँ) Hindi story

Story या फिर हिंदी कहानियाँ जब भी हम सब यह वर्ड पढ़ते या सुनते है तो समझ जाते है की इस हिंदी कहानि के पीछे जरूर किसी की असल जिंदगी की कहानी हैं। 

आज काफि दिनों के बाद मैं आप सब से फिर से एक कहानी share करना चाहती हूँ यह कहानी मेरी ऑफिस की एक mam की हैं। इस कहानी को लिखते वक्त मे खुद को उनकी जगह रखना चाहती हुँ।........ 

"कहते हैं न जख्म का पता तभी चलता हैं जब वो जख्म खुद को लगा हो"! 

हिंदी कहानियाँ hindi story

मैं सरस्वती मेरा नाम मेरे पिता ने बहुत ही प्यार से रखे थे। बचपन मे  जभी कोई मुझे मेरा नाम लेके पुकारते तो मै बड़ी ही खुश हो जाती मानो जैसे कोई मेरी पूजा करने को मुझे बुला रहा हो! 

अब इतना तो होश नही था आखिर थी तो बच्ची, " सभी दोस्तो को भी कहती फिरती की मै एक देवी हुँ"  मैं तुम सबकी इच्छा पूरी कर सकती हुँ। वो सभी मेरी बातो मे आकर अपनी - अपनी इच्छा मुझे बताते और मे बड़े ही मजे से खुद को देवी समझ कर sabhi को आशिर्वाद देती थी। 

फिर जैसे - जैसे मै बड़ी  होतीं गयी वैसे मेरा बचपन खतम होता गया। अब तो मुझे मेरे नाम से ही नफरत सी होने लगी थी। जहाँ भी मैं अपना नाम बताती, तो सभी कहने लगते। " क्या yrr तुम्हरा नाम लेते वक्त ऐसा लगता हैं की हम सरस्वती देवी का अपमान कर रहे है???

इसलिए मैंने अपना नाम सरस्वती से सरू रख लिया ताकि अब किसी को भी मेरा नाम लेते वक्त किसी देवी का अपमान ना करना पड़े। 

उम्र अब इतनी हो चुकी थी की माता - पिता ने शादी करवा दिये। घर परिवार सब अच्छा मिला सभी के प्यार से कभी भी अपने घर वालो की कमी का एहसास नही हुआ।

लेकिन ये खुशिया जादा समय तक नही रहा, भगवान ने मुझसे मेरी सबसे प्यरी चीज़ छीन लिए मेरे पति को ही खुद के पास बुला कर मुझसे दूर कर दिया।  

उनके जाने के बाद घर वालो का प्यार भी अब मुझसे दूर होने लगा था, तो मैंने खुद को सभी से अलग करने का फैसला किया और मैं अपने बेटे के साथ वहा से निकल गयी। 

कई  दिनो तक ऐसे ही यहा - वहा भटकने के बाद एक घर मे रहने को मिला और मेरी पढ़ाई अच्छी थी इसलिए घर की मालकिन ने मुझे एक काम भी दिलवा दिये। 

 मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी मैं कभी नही सोचा था की मुझे अपने इतनी छोटी उम्र मे इतना सब सीखने और देखने को मिलेगा। लेकिन मैंने कभी भी हार नही मानी और हमेशा अपने हर problem से लड़ती रही। 

Hindi story( हिंदी कहानियाँ)

परिवार वालो से दूर जरूर हुई थी, लेकिन कभी भी रिस्ता नही तोड़ा, जभी भी सभी को मेरी जरूर हुई तो मैंने हमेसा मदद किया। 

जभी बारिश का मोशन आता तो हमेशा मेरी पुरानी यादे मेरी आखो के सामने आ जाता, मेरे पति हमेसा मुझे "सर सर सरू पानी भरूँ" ऐसे ही बुलाते थे। उनके जाने के बाद मुझे अपने बेटे को एक पिता और मां दोनों का प्यार देना था। 

इसलिए मैंने कभी भी खुद के तकलीफ को अपने बेटे तक नही आने दिया,  सुबह उठ कर खाना बनाकर बच्चे को school🎒📚 के लिए तैयार करना फिर वहा से office जाना फिर शाम मे घर आके फिर से सब काम करना। 

यह सब अब ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन चुका था, आज मेरी उम्र 40 year है। 

Cute love story in Hindi (गाव का एक लड़का)

ज़िन्दगी ने इतना सब दिखा दिया की अब किसी भी problem से डर नही लगता। अब तो बस बेटे की शादी करवा कर थोड़ा मैं भी अपनी बहु का सुख लेना चाहती हूँ। कोई तो हो जो अब मुझे बना कर खिलाये, और कहे बस माँ आज आप आराम करिये काम सारा मैं कर लुंगी। 

ये ही कुछ मेरी ज़िन्दगी की छोटी - मोटी कहानियाँ है जो आज मैंने आप सब से ज़हीर किया है। 

ना जाने कितनी महिला ऐसी होंगी जो आज भी  ऐसे ही मेरी तरह अपनी ज़िन्दगी के problem के साथ लड़ती होगी। 

जाते - जाते बस इतना ही कहना चाहूँगी की लड़कियाँ देवी का ही रूप होती है तो उन्हे सरस्वती के नाम से पुकारते वक्त देवी का अपमान कैसे हो जाता है।  

कैसी थी यह हिंदी कहानी hindi story इस कहानी से क्या सिख मिली आप सभी को plzzz कमेंट me जरूर बताइयेगा। 

और  इस हिंदी कहानी को जादा से जादा share करीये ताकि किसी और महिला को किसी और के चलते या फिर किसी दूसरे के वजे से खुद के नाम को ना बदलना पड़े। 

यह हिंदी कहानी  Hindi storyलिखने का मेरा एक ही मकसद था की हर किसी को हक है अपनें नाम के साथ जीने का  फिर चाहे वो नाम कैसा भी हो।

हिंदी नैतिक कहानियां moral story in hindi

A true friendship story in hindi

Sunday, 6 September 2020

हिंदी नैतिक कहनियां moral story in hindi

 Moral story in hindi हिंदी नैतिक कहानियां

हर कहानी में एक सच्चाई छुपी होती है। हम अपनी हर बात और दर्द को कहानी या गाने के मदद से सभी तक बोल कर लिख कर बता सकते है आज की moral story in hindi यह कहानी एक बहू पर है।

हिंदी नैतिक कहनियां moral story in hindi

बात कुछ यहां से शुरू होती है...............

चाहे परिवार छोटा हो या बड़ा घर में प्यार तभी होता है जब हर कोई एक दूसरे हो समझे क्योंकि दूसरो का दर्द और उनकी बाते समझना सबसे ज्यादा जरूरी होता है।


एक बहु अपनी सास से क्या चाहती होगी ???? या फिर एक सास अपनी बहू से क्या चाहती होगी????? यह सवाल करना तो बहुत आसान है पर इसका जवाब देना और इसको समझ पना इतना आसान नहीं है!


चलो आज इस कहनी की मदद से जानते है इसका जवाब moral story in hindi हिंदी नैतिक कहानियां.....


" घर बनाना बहुत ही आसान है" लेकिन उसको एक पूरा परिवार बनाना इतना आसान नहीं। कहते है हर कमियाब आदमी के पीछे उसकी औरत का हाथ होता है और कहीं ना कहीं ये बात सच भी है


बहू सही हो तो बेटा अपने माता - पिता को कभी भी खुद से दूर नहीं जाने देता और सास सही हो तो अपनी बहू को कभी भी तकलीफ नहीं देती।

तो चलिए कहानी पड़ते है........moral story in hind 

माहौल बड़ा ही खुशी का था आखिर घर के सबसे बड़े बेटे की शादी जो है, घर में बहू आने वाली है।  घर को सजाना बहू के लिए शौपिंग करना शादी में देने वाली हर चीज़ लिया जा रहा था हर छोटी सी छोटी बातो का ध्यान रखा जा रहा था।


घर की पहली बहू है उसे कुछ कमी नहीं होनी चाहिए इस बात का सबसे ज्यादा ध्यान सास दे रही थी, सारी चीजे बहू को पसंद आए इस बात का ख्याल रख कर वह सब कुछ उसके लिए ले रही थी।


बहू भी आखिर लाखो में एक  काफी सुंदर और सुशील ......सब अच्छे  से हुआ शादी हो गई बहू भी घर आ गई और परिवार में एक सदस्य और जुड़ गए जिससे परिवार और बड़ा होने वाला था।


सास की खुशी कुछ अलग ही थी वह तो बस ये सोच रही थी जितने दुःख और दर्द मैंने देखा है वह सारे दुःख दर्द से मेरी बहू को नहीं गुजरे दूंगी।

हिंदी नैतिक कहनियां moral story in hindi


सुरु में सब नया - नया था एक दूसरे को जानना समझना वक़्त लग जाता है। यहां भी कुछ ऐसा ही था?? अब सास की सोच थोड़ी सी पुरानी थी वह चाहती थी कि उसकी बहु साडी में रहे लेकिन बहू को साड़ी पहनना आता ही नहीं था। फिर भी सास ने उसे कभी ज़ोर - जबरजस्ती नहीं किया।

उसे उसकी पसंद की कपडे ही पहनें बोल दिया। ताकि बहू को भी बुरा ना लगे।सास ने सोचा वक़्त के साथ सब सीख जाएगी। 

धीरे - धीरे बहु कि बोली हुई हर बात गलत साबित होती गई। जैसे शादी के पहले हर बार कॉल पर बहू ये ही कहती कि मां सादी के बाद घर का हर काम में करूंगी। मैं मच्छी ये सब खाती तो नहीं लेकिन आप सभी के लिए बना लूंगी।


घर का काम तो छोड़िए सास को वक़्त पर चाय भी नहीं दिया जाता था मच्छी बनाना तो दूर उन बर्तनों को धोती भी नहीं थी बहू को सास का बोलता तक पसंद नहीं आता था वह हर बार हर बेवजह सी बाते बना कर घर में लडने लगती।


और घर का बेटा भी अब अपनी मा से ज्यादा अपनी पत्नी की बातो पर यकीन करता और बस अपनी पत्नी की बात सुन कर अपनी मां को चुप करा देता। घर बनाना और घर तोड़ना सब बहू के हाथ में होता है,और बेटे की सोच पर होता है।

Hindi story - एक कहानी ऐसी भी

Kahani in Hindi||हिंदी कहानी short story in hindi

शादी को  कुछ महीना हुआ फिर एक खुश खाबिरी आई सास नानी बनाने वाली थी।और घर में एक और सदस्य आने वाला या आने वाली थी, अब सारी पुरानी बातो को भूल कर सास अपनी बहू का ध्यान रखने लगीं।


उसे घर का ज्यादा काम भी नहीं करने देती हर पॉस्टिक खाने फलफ्रूट लाके देती हर तरीके से बहू का खयाल रखा जा रहा था किसी चीज की कमी नहीं थी।


 जब भी जो मांगी सब कुछ लाकर देता था उसका पति उसे, सास ने भी सोचा मैं तो  कभी इतना सब खाई नहीं इसलिए मैं अपनी बहू को उसकी पसंद की हर चीज उसे खिलाऊंगी, बस उसकी सास उसे तीखा खाने से रोका करती थी लेकिन उस बहू को अपनी सास कि यह बात भी गलत लगती।


दिन निकलता गया और बहू हो हॉस्पिटल में एडमिट करने का समय आ गया सभी बहुत खुश थे अब पहले जैसा घर में कुछ नहीं होगा अभी baby के साथ खेलते रहेंगे तो घर में कोई लड़ाई झगड़ा नहीं होगा।


लेकिन उप्पर वाले को ये मंजूर नहीं था baby हुआ तो बस कुछ पल का साथ था बस आई एक छलक दिखा कर फिर से भगवान के पास चली गई🥺उस दर्द को महसूस करना बहुत ही मुश्किल है सब बिखर गया था।


घर में सभी टूट चुके थे खुशी का माहौल एक मातम में बदल गया। घर का बेटा पिता बनने की चाह में पता नहीं कितने सपने देख कर रखा था अपने बच्चे के लिए लेकिन सब टूट गया। 


पता नहीं इसके पीछे उप्पर वाले ने क्या सोच कर रखा था?? जों उसने घर आई इतने प्यारे से बेबी को अपने पास बुला लिया। फिर भी सास रोज़ बहू को खुद नेहलाती और  खाना पीना सब उसके कमरे में दिया जाता था कुछ बाते जो वो सास खुद के दिल में रख कर अपनी तकलीफ किसी से नहीं कहती थी 

लगभग एक महीना हो चुका था इस बात को लेकिन फिर भी बहू अभी तक ठीक नहीं हुई वह अभी भी  अपने कमरे में रहती और घर का सारा काम सास करती थी।


वे सास भी कभी बहू थी उसने अपनी ज़िन्दगी में इतने दर्द देखी थी कि बस वह नहीं चाहती कि कभी भी उसकी वजे से उसकी बहू को कुछ दर्द हो और कोई बात बूरी लगे इसलिए वह हर बार सास होके भी एक मां की तरह अपनी बहू का ध्यान रखती थी।


लेकिन फिर भी उस सास को कभी भी बहू की तरफ से ये आहसस नहीं हुआ कि उसकी बहू भी उसे अपनी सास नहीं बल्की मां समझती है।


घटना दुर्धटना हर महीने बहू के साथ कुछ ना कुछ दुर्धटना हो जाता और उसे चोट लग जाती सास ने सोचा बहू को उसके घर घुमा के ले आती हूं सायद सब सही हो जाए और मेरी बहू को तकलीफ ना हो 


वहा बहू के घर भी जाने के बाद उसे कुछ ना कुछ होता ही था। बहू ने अपने पसंद कि कपडे पहन रखे थे अब इसमें उस सास का क्या कसूर था कि उसकी बहू साड़ी नहीं पहनी।


बहू के घर जाते ही उसकी मां ने उसे पुछा तुझे ऐसे ही कपडे पहनाया जाता है वहा और फिर अपनी बेटी की सास को कहने लगी ऐसे कपड़ों में भेजा जाता है क्या बहू को उसके मायके(बेटी के घर) अब भी उसकी सास चुप थी।

father story in hindi motivational Stories

A true friendship story in hindi

क्योंकि उसे पता था, यहां बोलना और किसी को समझाना सब बेकार है इसलिए उसने बस इतना ही कहा कि अपनी बेटी से ही पूछ लो आप उसकी पसंद क्या है?


और फिर वह बहू को उसके घर छोड़ के अपने घर आ गई

सब कहते है सास कभी मां नहीं बन सकती लेकिन ये बात गलत है सास भी एक मां है जब हम लड़कियां अपनी सास को सास नहीं बल्कि एक मां समझे तो भला क्यों किसी सास बहू में लड़ाई होगी।


जरूरी तो नहीं ना कि हर बार सास को अपनी बहू को समझना हो अगर हम लड़की बहू बनने के बाद अपनी सास को एक बेटी वाला प्यार देंगे तो क्या वो सास मां वाला प्यार नहीं देगी क्या?????

हम कुछ भी कर ले हमारा कर्मा कभी भी हमारा पीछा नहीं छोड़ता है जैसा हम करते है बदले में हमें वही मिलता है अगर आज हम किसी को बेवजह का  तकलीफ देंगे तो कल हमे भी बदले में वही मिलेगा।

उस सास को जरूर उसकी जिन्दगी में बहुत खुशी मिलेगी क्योंकि उसने कभी अपनी बहू का बुरा नहीं किया और ना ही किसी ओर का लेकिन अच्छे लोगो को शुख़ भी देर से मिलता है। वी

इस कहानी को लिखने का एक ही मकसद है कि सास जब तक सास वाला बर्ताव नहीं करती जब तक हम बहू वाला बर्ताव नहीं करते। जिस दिन सास को सास नहीं मां समझने लगेंगे उस दिन से सास बहू वाला कोई खेल ही नहीं होगा।


इस कहानी को पड़ने के बाद आप का क्या सोचा है आप सब comment में जरूर बताएं के यह कहानी moral story in hindi हिंदी नैतिक कहानियां कैसी है  अच्छी लगीं आगे share जरूर करना।














Sunday, 30 August 2020

Hindi story - एक कहानी ऐसी भी

Hindi story - एक कहानी ऐसी भी

Hindi story - एक कहानी ऐसी भी

 Hindi story एक कहानी ऐसी भी

 Hindi story एक कहानी ऐसी भी एक गांव में रहने वाली बच्ची जो अपने उम्र से भी ज्यादा बड़ी बाते किया करती थी। उसने अपने पिता को बचपन में ही खो दिया था,लेकिन मा के प्यार और संस्कारों ने उसे हर परिस्थिती से लड़ना और समझदारी से हर काम करना सिखाया था।


Hindi story एक कहानी ऐसी भी.........


एक बार की बात है जब उस बच्ची की मामी ने उसकी शादी बचपन में ही करने का सोचा,"मां मजबुर थी वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी क्योंकी गांव में हर कोई अपनी बच्चीयो की शादी बचपन में ही करा दिया करते थे।


गांव के सरपंच के बेटे जो हाल ही में बाहर शेहर से अपनी पढ़ाई करके अपने गांव आए थे। जब उन्होंने देखा कि किसी छोटी सी बच्ची की शादी एक बूढे आदमी से कि जा रही है तो वह खुद को रोक नहीं पाए और वह जाकर सभी से लडने लगे।


काफी समझाने और लडने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ किसी को उनकी बाते समझ नहीं आई सभी बस अपने बच्चों की ज़िंदगी खराब करना ही उनकी भलाई समझते थे, शादी होने ही वाली थी कि जब तक वह बूढ़ा आदमी मर गया और वह बच्ची खुद को क़िस्मत वाली समझ रही थी।


लेकिन उसकी मामी कहा इतनी जल्दी उसे ऐसे छोड़ने वाली थी उसने उस सरपंच के बेटे को ही दोषी करार दिया, उसकी वजह से ही इस लड़की की शादी से पहले ही इसे विधवा बना दिया,"अब इस लड़की को अपना बाल काटना होगा और एक सफेद साड़ी में अपनी पूरी जिंदगी बितानी होगी"।

Hindi story - एक कहानी ऐसी भी


सरपंच का बेटा (अनिल) वह सोचने लगा अभी तो इस बेचारी की शादी भी नहीं हुई फिर भी इसे एक विधवा बनाया जा रहा है, कैसे कर सकते है यह लोग इसके साथ ऐसा?? फिर  उसने कोशिश की सभी को रोकने कि कहने लगा क्या मिलेगा यह सब करके????


इतने में ही उस लड़की की मामी बोली अब कोन करेगा इससे शादी इसका पति तो शादी से पहले ही मर गया अब इसको  एक विधवा वाली ज़िन्दगी जीनी होगी बिलकुल अपनी मां की तरह।


अनिल यह सब सुन कर बहुत ही परेशान हो गया वह समझ नहीं पा रहा था कि अब क्या करेगा कैसे उस लड़की को बचाए उसने सोचा कि ऐसे विधवा वाली ज़िन्दगी देने से अच्छा है कि मैं शादी कर लेता हूं इससे।


एक लडकी कि लव स्टोरी - heart touching love stories in Hindi


और वह शादी करने के लिए बोल देता है, शादी करने के बाद भी वह खुद के लिए गए फैसले पर ही बहुत पचतावा कर रहा था क्यूंकि वह लकड़ी उससे बहुत ही छोटी थी वह घबरा रहा था अब कैसे अपने घर वालो को यह सब समझाएगा।

  

घर जाते ही वह लड़की को एक अलग रूम में रहने को बोल देता है और अपने कमरे में चला जाता है।कुछ देर बाद सभी घर वाले अनिल से सवाल - जवाब करने लगते है। किसी को समझ नहीं आया कि अनिल यह सब क्यों किया और उसने किसी को अभी कुछ समझना सही भी नहीं समझा क्योंकी कोई उसकी बात नहीं समझ पाएगा।


लड़की हर  छोटी बड़ी बातो पर सवाल करती। यह कैसे होता है, यह क्यों हुआ , मैं अपनी मां के साथ क्यों नहीं रह सकती, हर एक छोटी से छोटी बात पर उसके सवाल करने की आदत सभी को परेशान करने लगी लेकिन अनिल को उसकी बाते बहुत अच्छी लगती थी।


उसे ऐसा लगता था कि यह लकड़ी एक दिन जरूर सबकी सोच बदलेगी और इस गांव के सभी लोगो को एक समझदार और सही सोच वाला इंसान बना सकती है। फिर अनिल ने कुछ दिन बाद ही उस बच्ची को पढ़ना लिखना शीखाने लगा।


पूरे गांव में आज तक किसी ने अपनी लड़की को नहीं पढ़ाया सभी बस  अपनी लड़कियों को घर का काम और खाना बनाना चुप चाप हर बात को शेहना और चुप रहना ही सिखाते थे, वह पहली लड़की थी जिसने पढ़ना लिखना सीखा अनिल के लिए यह सब इतना आसान नहीं था।


हर मोड़ पर उसे खुद को साबित करना पड़ता था और सभी से लड़ना पड़ता था लेकिन फिर भी वह हर दिन सबसे लड़ कर उसे पढ़ाता और उसकी सारी बातो और सवाल का जवाब दिया करता था।


कुछ साल बाद ही वह लड़की बहुत अच्छी हो गई थी पढ़ने में अब वह एक वकील बन सकती थी इसलिए अनिल ने उसे वकालत की पढ़ाई के लिए बाहर ले गया जहां कोई उस लड़की को परेशान ना करे और उसकी पढ़ाई पूरी हो जाए।


परीक्षा हुई और लड़की पास हो गई वह बहुत अच्छे अंकों से पास हुई धी इसलिए अनिल बहुत ही खुश था। क्यूंकि जो लड़की कल तक खुद के लिए नहीं लड़ सकती थी आज वह सभी के लिए लड़ेगी।


और इस गांव को बदलेगी, सबसे पहले बदलाव  अपने घर से होगा फिर गांव में ऐसे ही वह लड़की सबके घर - घर जाके पता करने लगी थी कि क्या अभी भी अपनी  लड़कियो को यह लोग नहीं पढ़ाते ???


धीरे धीरे सभी लोग अपनी सोच में बदलाव लाने लगे थे।

अब गांव में बहुत कुछ बदलाव आने लगा था सभी के सोच में बदलाव आने लगा है अब अपने बच्चो को पढ़ने के लिए स्कूल भेजने लगे फिर चाहे वो लड़की हो या लड़का।


अनिल का मकसद भी पूरा हो गया था सालो पहले लिए हुए फैसले पर अब उसको कोई पछतावा नहीं था अब सभी अपने गांव में ही रह कर अच्छी पढ़ाई कर सकते है और अब किसी लड़की को अपनी जिंदगी में छोटी सी उम्र में शादी नहीं करना होगा।

सीख - जो होता है अच्छा होता है कभी भी अपने क़िस्मत पर रोना नहीं चाहिए और हर परिस्थिती से लड़ना चाहिए।


हर कोई अपने हक और अधिकार के लिए लड़ सकती है।

कैसी लगी यह कहानी hindi story एक कहानी ऐसी भी comments में जरूर बताएं और स्टोरी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।





Friday, 21 August 2020

Kahani in Hindi || हिंदी कहानी || short story in Hindi

 Kahani in hindi हिंदी कहानी short story in Hindi। 
 
हम सभी ने सच्ची दोस्ती, मां,और प्यार पर बहुत से कहानी पड़े और सुने है। लेकिन आज में आप सभी से इस kahani in hindi हिंदी कहानी short story in Hindi में 
पिता और बेटी का रिश्ता कैसा होना चाहिए यह हम इस short story में जानेंगे।

सायद आप सब भी इस हिंदी कहानी को पड़ते टाइम थोड़ा उदास हो जाओगे क्योंकि मैं खुद यह कहानी लिखते वक़्त रोने लगी थी।तो चलिए शुरू करते है kahani in hindi हिंदी कहानी short story in Hindi

रानी जो सिर्फ नाम से ही नहीं सच में अपने घर की रानी थी। सभी घर में उससे बहुत प्यार करते हैं, आखिर क्यों ना करते वह है भी तो इतनी चंचल और मस्ती खोर, माता - पिता और वह एक अकेली लड़की बस इतना छोटा सा परिवार था लेकीन प्यार बहुत है सभी में।

रानी के पिता उससे बहुत ही प्यार करते थे और एक दोस्त की तरह रहते थे,उसके साथ खेलना,उसकी पढ़ाई में उसका साथ देना और उसकी सभी जरूरत पूरी करना, जों हर पिता अपनी बेटी के लिए करता है

इस बार रानी १४ साल की होने वाली थी और उसका जन्मदिन बनाने के लिए रानी और उसके माता - पिता सभी रानी के दादी के घर गए थे।बड़ी ही धूम धाम से जन्मदिन बनाया गया। दूसरे दिन रानी और उसके माता पिता अपने घर आ गए।


कुछ दिन बाद रानी का पेट अचानक से दूखने लगा,रानी ने सोच मैं सो जाती हूं कुछ समय में ये खुद सही हो जाएगा और वह सो गई, सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसके कपडे और पूरा बिस्तर लाल हुए पड़ा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था,यह सब क्या है और ऐसा क्यों हुआ?......

उसने जोर - जोर से अपने पिता को आवाज लगाई, लेकिन उसी समय उसकी मां आ गई उसके कमरे में उसने मा से पूछा "क्या है ये सब मा कल मेरा पेट दुःख रहा था और आज ये सब हो गया मा" पापा को बुलाओ मुझे पापा की जरूरत है मैं ये दर्द नहीं ब्रदाश कर सकती।



मां - अरे! बच्चा कुछ नहीं हुआ आप को आप अब बड़ी हो चुकी हो और यह बात आप अपने पिता से मत कहना।

रानी - क्यों? मां क्या हुए है मुझ।

मां - कुछ नहीं यह सब हर लड़की और हर महिला को होता है आप मुझसे वादा करो कि आप यह बात अपने पिता से नहीं बोलोगी यह बात बस हमारे बीच रहेगी।

रानी - ठीक है मां जैसा आप बोल रही हो मैं वैसा ही करूंगी, यह  बात बस हमारे बीच में ही रहेगी।

मां - अब जाओ नहा लो और अपने कपड़े बदल लो और मैं तुम्हे एक pad  दे रही हूं नाहने के बाद इसे use कर लेना।

      फिर मां वहां से चली गई। "रानी ना जाने क्यों खुद को बहुत ही कमजोर महसूस कर रही थी,और वह सोच रही थी आज तक मेरे और पापा के बीच कोई बात नहीं चूपी तो मां ने मुझे ये बात पापा से बताने मना क्यों किया?

 यह तो सभी को आता है सभी को पता है फिर इसे चुपाया क्यों जाता है।अब मैंने मां से वादा कर दिया तो में चाह कर भी पापा से कुछ नहीं बता सकती।मुझे कैसे भी करके यह बात खुद तक रखनी होगी।

उसके बाद से हर महीने जब भी रानी का पेट दिखता तो मां उसे pad लाकर दे देती और रानी को आराम करने को कहती, कई बार उसके पिता ने पूछा भी की कर महीने रानी का पेट दुखने लगा है क्या हुए है उसे वह ठीक है ना?

हा , हा ....आप फिक्र मत करो आप की बेटी बिलकुल ठीक है वह बस कल कुछ ज्यादा ही बाहर का खाली थी इसलिए उसका पेट दुःख रहा है लेकिन मैंने उसे दवा  दे दिया कुछ समय में आराम हो जाएगा।

कई महीने ऐसे ही चलता रहा और रानी के पिता भी ज्यादा कुछ नहीं पूछते थे। फिर एक दिन सभी ने घूमने का प्लान बनाया और दादी के घर चले गए वहीं से सभी जाने वाले थे,
दादी के घर जाते ही सब अच्छे से ready होके घूमने चले जाते है।

दिन भर घूमने के बाद रात में सभी बहुत थक चुके थे सब घर आते ही सोए गए, अब फिर से रानी का पेट दुखने लगा।"अरे! मैं तो भूल गई मेरा date आने वाला था, मैं तो pad भी नहीं लाई और मां भी सो गई अब मैं क्या करू किसको बोलूं।

कितना अच्छा होता कि यह बात पापा को पता होती तो इस समय मैं ऐसे परेशान नहीं होती बल्कि अभी तो पापा खुद मुझे pad लाके देते और हम साथ में बैठ कर कितनी सारी चॉक्लट खाते पता नहीं ऐसा कभी होगा भी या नहीं।और फिर वह अपने कपडे में से कई सारे पैंट निकली और उसे पहन कर सो गई।

उसे लगा कि ऐसा करने पर सुबह तक किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। लेकिन सुबह सबसे पहले उसके रूम में उसके पिता ही आ गए थे रानी को ऐसे सोते देख उन्होंने उसे उठाना सही नहीं समझा और वह रानी के पैंट में लगे दाग देख कर वहा से चले गए।



कुछ समय बाद उन्होने रानी के रूम में pad लाके रख दिया और साथ में ही कुछ चॉक्लेट भी और एक लेटर भी था। रानी जब सो कर उठी तो उसने देखा कि पैंट में दाग लग गया और पता नहीं कोन -कोन आया होगा मेरे रूम में फिर जब उसकी नजर pad पर पड़ी तो उसे लगा मां ने रखा होगा।

लेकिन चॉक्लेट और लेटर देख कर वह समझ गई कि यह बात पापा को पता चल चुकी है और उसने मां से किया वादा तोड दिया,पता नहीं अब मां क्या बोलेंगी मुझे मैंने ये सब जानबूझ कर नही किया।

उसने  फिर अपने पिता के रखे हुए लेटर को खोला और पड़ना शुरू किया " बेटा मुझे बहुत खुशी हुई यह जान की अब मेरी लड़की बड़ी हो गई और वह अब इतनी समझदार भी हो गई कि उसने यह बात मुझ तक नहीं आने दिया और इतने महीनों से अपना दर्द खुद तक छुपा कर रखती रही, लेकिन अब मैं आप के साथ हूं।

रानी अब बहुत खुश थी कि उसे अब अपने पिता से झूट नहीं बोलना होगा हर महीने और अब वह खुद अपने पिता के साथ shopping करते समय pad ला सकती है।

Kahani in hindi हिंदी कहानी short story in Hindi कैसी लगी कमेन्ट में जरूर बताएं।

क्यों हम लड़कियों को अपना ये दर्द सभी से छुपाने को कहा जाता है ये तो उप्पर वाले ने ही किया है तो इसमें हम क्या कर सकते है मेरा यह कहानी लिखने का एक ही मकसद है कि जैसे रानी के पिता उसकी हिम्मत बने और उसको समझे वैसे सभी पिता यह बात समझ सके।

 कहनी अच्छी लगी तो शेयर करुर करना।

ये भी पढ़िए अच्छी कहानी है.....







 


Tuesday, 18 August 2020

Father story in hindi motivational stories

Father story in Hindi motivational Stories एक लड़के से पिता बनने तक का सफर.

हर घर और परिवार के सबसे मजबूत जड़ पिता ही होते है,जों अपने पूरे परिवार को संभालते है।बिलकुल एक पेड़ की जड़ की तरह,पेड़ की जड़े जितनी मजबूत होती है पेड़ उतना ही हरा -भरा और बड़ा होते जाता है। वैसे हमारे पिता भी होते है।आज की कहानी एक सच्ची कहानी है father story in Hindi motivational Stories एक लड़के से पिता बनने तक का सफर।
 
Real story for father 
Father love

एक छोटे से गांव में रहने वाला लड़का|उन्होंने अपनी उम्र से ज्यादा अपनी ज़िन्दगी में उतार- चड़ाव देख चुके थे।और वह नहीं चाहते थे कि उनके वजे से  किसी की लाइफ खराब हो इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वह शादी नहीं करेंगे।

लेकिन घर और परिवार के सामने किसकी चलती है?हम सभी को अपने परिवार वालो की बात सुननी होती है,वैसे ही उन्होंने भी परिवार वालो के खुशी के लिए खुद के किए गए फैसले को बदल दिया और शादी कर लिए।

अब शादी हुई है तो उनका एक अपना परिवार भी बनेगा आगे भविष्य में, " इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न कहीं बाहर शहर में जाके काम किया जाए, जिससे कि मैं अपने परिवार वालों का अच्छे से ख्याल रख सकूंगा।

और वह मुंबई शहर में आके अपने एक दोस्त के पास रहने लगे। परिवार और अपनी पत्नी से दूर, " कुछ दिन तक  वह ऐसे ही यहां - वहां काम की तलाश में भटकते रहे लेकिन उन्हें  काम कहीं नहीं मिला"  फिर भी उन्होने उम्मीद बनाए रखा और हिम्मत नहीं हारी।

घर से जब भी call आता तो कह देते मै ठीक हूं,और मैं जल्दी ही पैसे भेज दूंगा। वह अपनी तकलीफ किसी से नहीं बताते क्योंकी वह किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे।

दिन ऐसे ही गुजर रहे थे काफी दिन हो चुका था उन्होंने सही से पेट भर खाना भी नहीं खाया था। "उप्पर वाले के घर देर है अंधेर नहीं"! यह कहावत तो सभी से सुना होगा।

उनका भी एक सही समय आया उन्हे एक जगह काम मिला, फिर उन्होंने अपने पूरी ईमानदारी और लगन से काम करने लगे। उसके कुछ ही दिन बाद घर से फोन आया और खुश खबरी थी, वह पिता बन चुके थे।
यह सुन कर उन्हे कितनी खुशी हुई होगी इसका अंदाजा आप सभी लगा सकते है।

लेकिन बुरी बात यह थी कि वह अपने बच्चे को देख नहीं सकते थे "दूर थे ना अपने परिवार से और उस समय smart phone भी नहीं हुआ करता था"। फिर भी उन्होंने अपनी खुशी एक पत्र के जरिए लिख कर भेज दिए।

समय बीतता गया........

कुछ साल बाद......."खुश थे वह काफी क्योंकि वह अपने घर जा रहे थे। उनका पहला बच्चा जिसे उन्होंने अभी तक नहीं देखा अब उसको देखने की खुशी इतनी थी कि बस वह जल्दी से अपने गांव पहुंच जाए। घर पहुंचे ही सबसे मिलें और अपने बच्चे को पिता का प्यार भी दिए"।

अब उनका एक परिवार बन कुछ था , तो उन्होंने इस बार अपने पत्नी और बच्चे को भी साथ लेकर जाने का फैसला किया। शहर जाते ही वह फिर से काम करने लगे, दिन भर काम करके थके हुए पिता फिर भी अपने बच्चे के साथ खेलते और सारी थकान भूल जाते थे।

सब सही चल रहा था,की एक दिन किसी दुर्घटना में उनके एक आंख में काफी चोट लग गई और वह कई दिनों तक अस्पताल में रहे। अस्पताल में कई दिनों तक रहने के कारण अब उनका काम भी छूट गया और आंख में लगने के वजे से उन्हे एक आंख से कम - बहुत - कम दिखने लगा था 

उन्होंने इसे अपने कमजोरी ना समझते हुए,सब कुछ भूल कर  अपने कुछ जमा किए गए पैसों से एक छोटा सा दुकान चालू किया।जिसमें उनकी पत्नी भी उनकी मदद करती थी। ईमानदार और मेहनी होने के कारण उस छोटे से दुकान से उन्होंने बहुत कुछ किया।

लोगो का दिल भी जीते और अपनी एक पहचान बनाई जिस बस्ती में वह रहते थे वहां  हर कोई उन्हे उनकी ईमानदारी से पहचानता था जिसके चलते उनकी दुकान भी अच्छी चलने लगी।और धीरे - धीरे उनका परिवार और बड़ा होने लगा था अब उनके ३ बच्चे थे।

उन्होंने अपने बच्चो को कभी भी उस माहौल से नहीं गुजरने दिया जिसे वह निकल कर आए है।  २० की उम्र में शादी हुई थी।अपनी मेहनत से उन्होंने अपने बच्चो के लिए बहुत कुछ किया,कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होने दिए।

२००५ में उन्होंने सबसे पहला घर लिया, फिर ऐसे ही धीरे - धीरे अपने सभी बच्चो के नाम पर एक - एक घर लिया, सभी को अच्छे से पड़ाए और एक अच्छा और सच्चा इंसान बनाए। 

जिन्दगी में इतना सब होने के बाद भी वह हमेशा मेहनत करते हैं और आज भी वह पिता खुद अपना घर चला रहे है। पिता बनना तो बहुत आसान है लेकिन पिता का फर्ज पूरा करना इतना आसान नहीं होता।
तो कहानी यही ख़त्म होती है.........

देखा दोस्तो हमारे पिता कितना कुछ करते है हम सभी के लिए और हम सब उन्हे समझ नहीं पाते, बहुत सारी कहानियां मा पर होती है, पिता पर बहुत ही कम लिखा या सुना जाता है।

इस कहानी को लिखने का मेरा मकसद बस इतना था कि हम सब अपने पिता को समझे और उनका हिम्मत बने और उन्हे अहसास दिलाए की "वह है तो हम है"

कैसी लगी यह कहानी आप सभी को comment में जरूर बताएं और इस कहानी father story in Hindi motivational Stories एक लड़के से पिता बनने तक का सफर। इसे share जरूर करे।

 इस कहानी को भी पड़े पसंद आयेगी.



Friday, 14 August 2020

A true friendship story in hindi

A true friendship story in Hindi.

जब भी हम किसी भी मुसीबत में होते है तो हम सभी को सबसे पहले अपने दोस्तो की याद आती है, खुशियों में तो हर कोई साथ देता है असली दोस्त तो वो ही है जो हमारे बुरे वक़्त में साथ हो। तो आज की कहानी दोस्ती पर है true friendship story in Hindi....

        "दिल टूट चुका था,प्यार में धोका मिल गया था।जबकि उसका प्यार ५ सालो था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। प्यार में किए वादे,और सारे सपने, उन ५सालो का प्यार सब कुछ एक पल में खतम हो गया"।

 बहुत बुरी हालत में थी वह लड़की (जोया) सभी से दूर रहने लगी थी बस अकेले एक कमरे में रह कर रोया करती,उसे ऐसा लग चुका था सब कुछ खत्म हो चुका है अब उसकी लाइफ में कोई नहीं है।

लेकिन कब तक ऐसा चलता आखिर कब तक वह खुद को ऐसे हालात में रखती, फिर उसने खुद को संभाला और एक नई शुरआत करी फिर वह पुरानी सारी yaade भूलने के लिए खुद को अपने phone में busy रखने लगी और अपने कुछ दोस्तो से बात करती लेकिन कोई ऐसा नही था जो उसे समझ सके जिसे वह एक ture friendship बोले।

उसका सारा time social sites पर ही निकाल जाता था,फिर इसी बीच एक दिन facebook पर उसे किसी prem varma का msg आता है कुछ समय तक तो वह उस लडके का msg ka kuch reapy नहीं  करी थी।लेकिन एक दिन अचानक से ना जाने कैसे उसने reapy किया।

Friendship story in Hindi
जोया  -hey....


प्रेम -hiii miss Mumbai, कैसी हो आप?

जोया -yes,I am good आप कैसे है?

प्रेम - हम तो ठीक ही रहते है।,तो करती क्या है आप?

जोया - study 

प्रेम - इतने दिन बाद reapy सही है ,आप लड़कियां तो बहुत भाव खाती है,लगता है आप का bf है इसलिए तो आप बात नहीं करना चाहती है।

जोया - sad हो जाती है,फिर वही सब याद आ जाता है उसे और जवाब देते हुए कहने लगती है। हा था ५ सालो का relationship था पर अब नहीं है।

प्रेम - क्यों- ? तुम तो दिखती भी अच्छी हो फिर भी उसका दिल कहीं और लग गया (मजाक में कहने लगा)

जोया -  ok चलो by.....

प्रेम  - अरे!wait,wait... बूरा मत मानों yrr मैं तो मजाक कर रहा था।sry sry आप को बुरा लगा तो ..

जोया - ok by..... फिर कभी बात करते है।

जोया को एक अच्छा दोस्त मिल गया था जो उसे समझ सके और इसे फिर से सही कर सके।लेकिन फिर भी वह ज्यादा बात नहीं करती थी,कुछ दोनों तक तो वह online ही नहीं आई। 

दोनों का ही दिल टूटा हुआ था। ऐसे में तो हर किसी को बस एक अच्छे दोस्त की तलाश होती है, जों उन्हे समझे और खुद पर भरोसा रखना सिखाए।

कई दिनों तक प्रेम online आता और जोया को offline देख कर वह भी चला जाता,उसे उसकी फिकर होती है,हुआ क्या होगा वह ठीक तो हिगी ना? आखिर दोस्त हू मै उसका मुझे कुछ तो पता करना होगा।

फिर एक दिन अचानक से.......

जोया का msg आता है।

Hiii,

प्रेम - अरे! कहा थी इतने दिनों तक?

जोया - वो क्या है ना phn hi गायब हो गया था,अभी नया लिया। वैसे आप  क्यों पूछ रहे है?

प्रेम  - दोस्त हू आप का में हक है मेरा पता करना आप ठीक है या नहीं।

जोया - अच्छा?...... हा, हा  पहले से थीं हू।क्या आप की कोई gf  नहीं है?

प्रेम - थी लेकिन अब नहीं है, बिना कुछ बोले ही उसने मुझे छोड़ दिया।

जोया - अच्छा तो आप का भी दिल टूटा हुआ है? हा आज कल सच्चा प्यार  किसी अच्छा ही नहीं लगता है।

प्रेम - दोस्ती ही अच्छी होती है yrrrr....

जोया - सही बोले।

ऐसे ही दोनों की दोस्ती और अच्छी होती गई प्रेम भले ही online वाला दोस्त था उसका लेकिन वह हमेशा उसका साथ देता था जब भी जोया को कोई probmle होती तो वह सबसे पहले उसे है बताती थी।

तो देखा आप सबने दोस्तो, दोस्ती बस दिल से होने चाहिए चाहे दूर हो या पास बस साथ देना जरूरी होता है।और प्रेम ने यह बात अच्छे से सीखा दिया social sites वाली दोस्ती भी किसी से कम नहीं होती।

तो कैसी लगी यह कहानी ture friendship story in Hindi comment में जरूर बताएं और इसे आगे भी शेयर करे ताकि सबको यकीन हो दोस्ती दोस्ती होती है चाहे हो पास की हो हा दूर की,बस निभाना आना चाहिए। 


यह भी पढिए अच्छी लगेगी.

Real sad love story in Hindi (अधूरी प्रेम कहानी)

Cute love story in Hindi (गांव का एक लड़का)


Wednesday, 12 August 2020

एक साथ बड़ा कदम motivational inspirational story in Hindi

Motivationa Story in hindi एक साथ बड़ा कदम

Hii दोस्तो उम्मीद है सभी अच्छे होंगे,आज की स्टोरी में उन बच्चो के बारे में बताया गया है।जों बचपन से या किसी दुर्घटना के कारण चल नहीं पाते,तो कहानी शुरू करे..... Inspirational Motivational Story in Hindi एक साथ बड़ा कदम। विशाल कि लाइफ कुछ सालो से नचाहते हुए भी इस व्हीलचेयर(wheelchair) पर ही बीत रही थी। उसका एक दोस्त (नीलेश)जो हर समय उसके साथ रहता था। पूरी स्टोरी यहां से है......
 
    नीलेश।"पापा मै वहां दुबारा नहीं जानें वाला, विशाल बहुत ज़िद्दी और बिगड़ा हुए छोकरा है। वह हमेशा बस अपनी ही चलाता है सारे अच्छे खिलौने अपने पास रख लेता है और मुझे हथियार देकर दुश्मन की सेना बना देता है।

  उसके पिता चुप रहे,हालाकि वह सब सुन रहे थे। लेकिन फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा।

नीलेश-   "पापा आप सुन नहीं रहे क्या ?कुछ बोल रहा हूं में आप से और वह चिल्लाने लगा। 

"तुमने जों कहा है, वो सब मैंने सुना उसके पिता ने जवाब दिया। जो बात तुम्हे नहीं पसंद है उसके लिए मैं तुम्हे जबरदस्ती बिलकुल नहीं करना चाहता हूं।इतनी सब बात हुआ फिर वह दूसरे दिन विशाल के घर नहीं गया।

 नीलेश अब दूसरे दिन बल्लेबाजी(batting) करने चला गया शाम के 6 बजते ही,अचानक से उसकी नजर विशाल के घर के खिड़की पर पड़ी उसे लगा की विशाल उसे खिड़की से देख रहा है,और वह आऊट(out) हो गया।नीलेश को लगने लगा कि इसकी वजह भी विशाल है।

इतना सोचते हुए वह अपने सभी दोस्तों को बिना कुछ बोले पार्क(garden) से विशाल के घर की तरफ चला गया और दरवाजे पर पहुंचते ही विशाल के पिता कहने लेने "बेटा आज इतना लेट हो गए आप विशाल कबसे आप का wait कर रहा है," उसे अपने मन में उसकी गलती का अहसास हुआ।

विशाल दरवाज़े के पास ही था।धीरे -धीरे उसने अपनी व्हीलचेयर(wheelchar) घुमाया और नीलेश के सामने आया।"तुम अपनी(batting) क्यों छोड़ आए?क्या तुम आउट (out) हो गए?"

नीलेश -हा "मैं आऊट हो गया था,फिर उसे लगा कि सयाद विशाल की आंखे लाल है। उसने पूछा? क्या तुम ठीक हो मुझे कुछ देर हो गई आने मै इसलिए तो कहीं तुम उदास नहीं हो ना?

"इस कहानी से हमें motivational होने मिल रहा है और यह बहुत ही inspirational भी है"।

विशाल ने कुछ नहीं कहा वह बस अपने खिलौने को देख रहा था और अपने मन मै ही ना जाने कितने दर्द को छुपा रहा था।वह खुद से ही सवाल करने लगा, क्या? मेरी ज़िन्दगी में रोना ही लिखा है क्या मै कभी चल नहीं पाऊंगा, उन लोगो की तरह भाग नहीं पाऊंगा,मेरे साथ ही क्यों हुए ऐसा उस दिन वह दुर्घटना नहीं हुई होती तो आज में भी इन सबके साथ खेलता, इस तरह इस व्हीलचेयर पर नहीं बैठा होता।

दोनों ही चुप रहे। नीलेश यह सोच रहा था कि पहले विशाल बात करे और विशाल यह सोच रहा था कि पहले नीलेश बोले। फिर इतने में ही विशाल के पिता आए और कहने लगे "क्यों विशल,तुमने नीलेश से बैठने और अपने साथ खेलने के लिए नहीं कहा?"

 विशाल गुस्से में कहने लगा।"कुछ देर खड़ा रहने से इसके पैरो में दर्द नहीं होने लगेगा।यह खिलौने खुद ही ले सकता है,इसके लिए ही तो यह यहां आया है, है ना?"अपनी batting छोड़ कर।

विशाल के पिता- "बेटा नीलेश तुम इसकी बातो का बुरा मत मानो।आज तुमने देर कर दी ना आने में इसलिए विशाल नाराज़ है।

नहीं,मै नाराज़ नहीं हूं वह चीख पड़ा।और अपने हाथ में लिया हुआ खिलौना उसने फैक दिया,और कहने लगा "मैं अपने आप में बहुत खुश हूं।मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए."

नीलेश उसे गैर से देखने लगा और उसने देखा कि विशाल का हाथ कांप रहा है,फिर उसने खुद को विशाल की जगह रख कर सोचा की आगर में इसके जगह होता तो सयाद मैं तो खुद को संभाल भी नहीं पता,उस दुर्घटना के बाद अब व्हीलचेयर पर ही बैठे रहना विशाल खुद को लाचार महसूस करता होग!

फिर मुस्कुराते हुए नीलेश कहने लगा, मै वादा करता है कि अब आगे से मै समय पर तुम्हारे पास आ जाऊंगा,वैसे मुझे नहीं लगता कि तुम्हे मेरी याद आई होगी(मस्ती में कह रहा था)
"बिलकुल नहीं, विशाल बड़बड़ाया"।
"नीलेश जानता था कि वह झूठ बोल रहा है"।

और अब दोनों ही बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे। नीलेश समय पर आ जाता और दोनों मिल कर साथ खेलते थे। समय अच्छा ही चल रहा था कि फिर कुछ दिन बाद उनके जीवन में एक और घटना घटी।

विशाल का एक ऑप्रेशन opresion होने वाला था।इस ऑप्रेशन के बाद विशाल खुद से चलने लायक हो जाता उसे किसी wheelchair के सहारे नहीं रहना पड़ता,दुर्घटना के बाद वह कई महीनों तक अस्पताल hospital में रह चुका था।इस बार वह वहां नहीं जाना चाहता था, उसे ऑप्रेशन से डर लग रहा था।

नीलेश ने विशाल का हौसला बढ़ाने के लिए उससे कहने लगा।"हो सकता है जल्दी ही हम साथ में cricket खेले"।
पागल मत बनो।मै चल भले लू, पर दौड़ नहीं पाऊंगा।
अगर तुम चल लोगे तो batting तो कर सकते हो। मैं तुम्हारा रनर runer बन जाया करूंगा।

और हा! मैं वादा करता हूं कि तुम्हे देखने मैं रोज अस्पताल आया करूंगा। बस तुम हिम्मत रखो और खुद पर भरोसा रखो। दोनों ही रोने लगे और विशाल को hospital भेज दिया गया। नीलेश घर से रोज उसके लिए भगवान से प्रार्थना किया करता था।

उसे देखने अस्पताल भी जाता रहा ताकि विशाल को हिम्मत मिले और वह जल्दी चलने लगे।उप्पर वाले की दुआ से विशाल का ऑप्रेशन सही रहा ओर वह जल्दी ही घर जा सकता था। यह सुन कर दोनों की खुशी का कोई अंदाजा नहीं था, विशाल के पिता भी बहुत खुश थे की अब वह अपने बच्चे को पहले को तरह चलते और खेलते देख सकते है 

तो देखा आप ने दोस्तो अगर हम खुद पर यकीन रखते हो हम कुछ भी कर सकते है, नीलेश ने विशाल को बहुत ही हिम्मत दी थी। इस कहानी को आप तक लाने का मेरा एक ही मक़सद था कि हम कभी भी खुद को किसी से कमजोर ना समझे।

कैसी लगी यह motivational Story in Hindi एक साथ बड़ा कदम comment में जरूर लिखना और मुझे आप सबके suppot कि जरुरत है तो plzzz story को अपने social sites पर शेयर करिए इससे उन लोगो की मदद होगी जो खुद को कमजोर समझे है।                          Thanx.........


Related story इसे भी जरूर पड़े

Emotional heart touching story in Hindi





 
           
  
       

Monday, 10 August 2020

Cute love story in Hindi (गाव का एक लड़का)

Cute love story in Hindi (गांव का एक लड़का)

समीर गुस्से वाला था, और अनम ज़िद्दी लड़की वैसे भी जब तक प्यार में गुस्सा और जिद्द ना हो तो एक cute love story कैसे बनेगी।

समीर, जों एक गोरखपुर गांव में रहता है, अपनी अम्मि का सबसे प्यारा बेटा,और दोस्तो की जान है वो,बाते तो ऐसी करता है कि सामने वाला उसकी बातो में ही आजाए।प्यार से अंजान था वो एक दिन उसकी ज़िन्दगी में एक प्यारी सी लड़की आई और फिर शुरू हुई  cute love story.

एक दिन समीर अपने किसी दोस्त के साथ अपने घर के पास वाले गांव में किसी काम से गया था, जहां उसकी नजर एक लड़की पर पड़ी, वैसे तो वो लकड़ियों से बात नहीं करता और ना ही किसी को देखता था, लेकिन इस लकड़ी में ना जाने वो क्या बात थीं कि उसको देखते ही समीर कि नज़रे खुद को रोक नहीं पाई।
 
बस वह उसको देखते ही रहा, फिर अपने दोस्त से कहने लगा "भाई yrrr कौन है ये ? पहले तो कभी नहीं देखा मैंने इसे यहां।
दोस्त -भाई ये घर में ही रहती है अच्छी लकड़ी है। लेकिन तू क्यो पूछ रहा है, तू तो किसी लडकी से बात ही नहीं करता फिर आज क्या हुआ?......
समीर -अरे!नहीं बस ऐसे ही पूछ लिया yrrr...

फिर समीर और उसका दोस्त दोनों ही अपने घर आ जाते है, लेकिन समीर को पहली नजर में ही इश्क हो चला था...उस दिन के बाद से वह बस उस लड़की को देखने के लिए घर के पास वाले गांव में रोज जाता, लेकिन वह लड़की नहीं दिखती तो बेचारा ऐसे ही उदश घर आ जाता था।

कहते है ना दोस्तो...........
प्यार अगर सच्चा हो तो एक सीधा -साधा लड़का भी कुछ भी कर सकता है, समीर ने भी उस लड़की के बारे में सब कुछ पता किया। सायद उप्पर वाला भी समीर के प्यार में उसका साथ दे रहा था। क्योंकि वह लकड़ी उसके रिश्तेदार वालो में ही से किसी की लकड़ी थी। अब समीर किसी न किसी बहाने से उसके घर जाने लगा था,और बस एक ही कोशिश करता कि किसी तरह "मेरी बात इससे हो जाए"।

आज फिर वह उसके घर गया,"आओ बेटा बैठ चाय पीले
 लकड़ी के पिता ने कहा। (अनम) बेटी कहा हो चाय वाय पिलाओ समीर को, लड़की ने कहा "जी अब्बा अभी आई...
समीर सोचने लगा। जितनी प्यारी खुद है इतना प्यारा इसका नाम भी है।

कुछ समय बाद.....
अनम चाय लेके आई और रख दी, जाने ही लगी कि समीर ने आवाज लगाया।
"कुछ पूछना था आप से मुझे ?
हा बोलिए, 
क्या? आप फोन नहीं use करती 
करती हूं। लेकिन आप को क्या काम है 
वो मेरा फोन नहीं मिल रहा है, एक बार आप अपने फोन से call करिए।
Okk.... देखो वही रखा हुआ है 
जी thanks.....
    यह सब एक बहाना था बस अनम का number पाने के लिए। तो अब समीर घर पहुंचा और बहुत खुश था आज आखिर अब उसकी बात जो होगी उस लकड़ी (अनम) से।

कुछ time बाद समीर ने कॉल किया ... 
Hello! कोन ?
समीर बात कर रहा हूं में।
अच्छा। हा बोलिए कुछ काम था 
नहीं नहीं बस आप से बात करनी थी....
मुझसे क्या बात करनी है?
मैं जानना चाहता हूं आप के बारे में
क्यों?.....ऐसे ही बात आगे बढ़ती गई और अब दोनों में ही रोज बाते होने लगी। 

अब समीर को उसके दोस्त भी उसे आशिक कहने लगे थे "पागल जो हो गया है अनम के पीछे" रोज उसके घर जाना और सारा दिन उससे ही बात करना। दिन पे दिन दिनों का प्यार बढ़ते ही जा रहा था।

 फिर एक दिन...........
अनम की बड़ी बेहन ने उसे  समीर से बात करते देख लिया,और अनम को घर से दूर अपने मामा के घर भेज दी। ताकि दिनों में कोई बात ना हो पाए और दिनों ही एक दूसरे से ना मिल पाए। 
जहा बात सच्चे प्यार की आती है वहां अक्सर ऐसा होता है। हर कदम पर अपने प्यार की परीक्षा देनी पड़ती है।

दोनों ही एक दूसरे से बहुत प्यार करते है।इसलिए दूर जाने के बाद भी दोनों कभी अलग नहीं हुए और किसी ना किसी तरह बात कर ही लेते है। अनम के प्यार ने समीर को इतना बदल दिया था कि वो लड़का जो कभी किसी लडकी से बात तक नहीं करता था आज वह एक लकड़ी के लिए खुद को हर तरीके से एक अच्छा लड़का बना रहा है।
बस इतनी सी थी ये कहानी.........
   तो कैसे लगी ये cute love story in Hindi (गांव का एक लड़का) comment में जरुर बताए। और  स्टोरी अच्छी लगी तो अपने सभी दोस्ती और अपने social sites पर share जरूर करे।

अगर आप को इस ब्लॉग के बारे में कुछ और जानकारी चाहिए तो आप मेरी about us page को पढ सकते है।


 


Saturday, 8 August 2020

Emotional heart touching story in hindi

 Emotional heart touching story in Hindi


आज की story एक emotional heart touching story पर पूरी कहानी है।जिसे पढ कर सायद आप भी खुद emotional हो जाए। लेकिन आप लोगो को इस कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
 
     Emotional heart touching family story in Hindi  इस कहानी में उन मा -बाप के बारे में बताया गया है जो एक समय बाद अपने खुद के बच्चो से दूर एक वृद्ध आश्रम में रहते है। और उनके बच्चे अपनी लाइफ बड़े मजे से enjoy करते है,बिना ये सोचे समझे कि उनके माता -पिता कैसे होंगे वहा।
         तो यहां से शुरू होती है कहानी, (वृद्ध आश्रम) इस जगह पर सभी बुज़ुर्ग रहते है,जिनके बच्चे उनको घर से बेघर कर देते है।आखिर कर कैसे लेते है ये ऐसा? आप खुद सोचिए वो मा- बाप जो हमे खूद इतना बड़ा करते है और कुछ बच्चे बड़े होने के बाद उन्हें उनके ही घर से निकाल देते है सिर्फ खुद के मतलब के लिए।
  
   "आज फिर एक बेटे ने अपनी मां को अपने घर से दूर एक वृद्ध आश्रम में भेज दिया,सिर्फ यह बोल कर की "मां बस कुछ दिन फिर में आप को लेने आ जाऊंगा!  
     वृद्ध आश्रम 
 एक बुज़ुर्ग आदमी।" जी नमस्ते हमें यहां वर्मा के नाम से बुलाया जाता है,
                  फिर (अंजलि जी) वो मा जितका बेटा उनको अपने घर से निकाल दिया था। उन्होंने जवाब दिया (थोड़ी नम आवाज) में बोली।

      ऑ..... नमस्ते मेरा नाम अंजलि है, मै बस कुछ दिनों के लिए यहां आई हू वो क्या है ना,मेरा बेटा घर की shifting में लगा हुआ है।तो मेरी देख- भाल के लिए कोई नहीं था।

वर्मा जी -अच्छा ...... तो करता क्या है आप का बेटा?

अंजलि जी-(गर्व के साथ बोली) बहुत बड़ी company का menagere है मेरा बेटा। 
         
वह उसे call करने का सोचती है। जरा पूछ तो लू वह  घर पहुंचा या नहीं?)
Call ..... Tring.....Tring लग तो गया लेकिन बेटा phone उठाते ही बोला "हा मा meeting में हूं थोड़ी देर में call करता हूं।बेटा बस इतना पूछना था?तूने खाना खाया या नहीं...मा  कहां
 ना अभी busy हूं चलो रख रहा हूं में phone byyyy........

वर्मा जी- तो क्या कहा आप के लाडले बेटे ने?

अंजलि जी -(उदास होकर बोली) कहा थोड़ी देर में call करता हूं।

वर्मा जी -" हा ,हा.. और क्या कहेगा? सालो से हूं मै यहां सब कुछ देख और समझ लिया है मेरी आंखो ने। आप जितनी जल्दी इस जगह को  अपना समझने लगेंगी उतना ही अच्छा होगा आप के लिए भी।

अंजलि जी- (इस बार तो वह गुस्सा में जवाब देने लगी) कैसी बात कर रहे है आप मेरा बेटा वैसा नहीं है (फिर प्यार से बोली) वो तो बहुत प्यार करता है मुझसे और मै यहां कैसे रह सकती हूं अपने बेटे से दूर बिलकुल नहीं ......

वर्मा जी -"जो आप बोल  रही हों वो सच हो।वैसे यह जगह इतनी भी बुरी नहीं है, शांति है,सुकून है,समय पर खाना मिल जाता है(फिर थोड़ा उदास हो कर बोले) घर वालो के साथ नहीं है लेकिन दोस्त बहुत है यह।

अंजलि जी -(फिर एक बार गुस्से से) देखिए मुझे कहना तो नहीं चाहिए लेकिन कहना पड रहा है। जलते है आप मुझसे क्योकि मेरा बेटा तो आ जाएगा मुझे लेने और आप को तो कोई पूछता तक नहीं है। 

"वर्मा जी को अब इन बातो से कोई फर्क नहीं पड़ता,क्योकि उनके बच्चे उनको कई साल पहले ही खुद से दूर कर दिए थे सिर्फ कुछ property के लिए"।
                        (लेकिन उस मा को क्या पता था कि उसका बेटा उसे बस एक बहाने से घर से बेघर कर दिया था।और उसके पास तो अपनी मा से बात करने तक का समय नहीं था,जब भी उसकी मा उसको कॉल करती वह कुछ न कुछ बहाना बना लेता और call cut कर देता)

  लगभग एक महीना बीत चुका था।पर उसका बेटा नहीं आया फिर उसने कॉल किया अपने बेटे को,

 Tring.......Tring......Tring...hello बेटा
हा मा में office में हूं बाद में करता हूं कॉल , 

अंजली जी- (आंखो मे आशु थे) बेटा तू भूल जाता है एक महीना हो गया है कब आएगा मुझे लेने ?....
 आता हूं ना मां कुछ काम है बस उनको पूरा करके आता हूं चलो byyyyyy call cut ho Gaya

वर्मा जी- "आप को मेरी बाते बुरी लगती है लेकिन मेरी बात मानिए यहां उम्मीद लगाने का कोई मतलब नहीं है जो हो रहा है उसे बरदास कीजिए,यही हमारा नसीब है।

अंजलि जी -"नसीब आप का खराब होगा।देख लीजिएगा मेरा बेटा मुझे लेने जरूर आएगा और फिर में आप को बताऊंगी आप की बोली सारी बाते गलत होगी। (नम आवाज में) मुझे तो बस इस बात का tension है मेरा बेटा मेरे बिना रह कैसे पारा होगा?

वर्मा जी - देखिए अंजलि जी। मै भी चाहता हूं कि आप का बेटा आप को लेने आए, लेकिन मैं जानता हूं इस वृद्ध आश्रम में जो एक बार आ जाता है यही का हो कर रह जाता है।
    (दोनों ही अपने अपने परिवार को याद कर के खामोश बैठे थे। और अपने दर्द को जाहिर नहीं होने दिए)

एक दिन अचानक से अंजलि जी बीमार हो गई और अपने बेटे से बात करने के लिए तड़प रही थी।लेकिन बेटे ने मा को घर लाने के डर से एक बार भी कॉल नहीं उठाया। आखिर में उस मा ने अपने बेटे की तस्वीर अपने दिल से लगा कर अपनी आखिरी सांसें तोड दी। 

वर्मा जी के लिए यह सब पहली बार नहीं था हर दो महीने बाद कोई ना कोई आता और उनके सामने अपनी आखिरी सांसें तोड देता।


बस इतनी सी थी ये कहानी,
         दोस्तो मै आप सब से बस इतना ही कहना चाहती हूं कि अपने माता पिता में अपनी बचपन की यादों को हमेशा याद रखे क्योंकि उन्होंने ही हमें इतना बड़ा किया है। और हम मतलब कुछ बच्चे जो उनके प्यार को नहीं समझ पाते और उन्हें खुद से दूर कर देते है। 

उम्मीद है आप सभी को ये कहानी emotional heart touching family story पसंद आई होगी।यकीन मानिए  मेहनत लगी है मुझे यह स्टोरी लिखने में, स्टोरी पसंद आई तो आप लोग भी  इसे share करे और comment में जरूर बताएं कैसी लगी स्टोरी इससे मुझे हौसला मिलता है