Tuesday, 18 August 2020

Father story in hindi motivational stories

Father story in Hindi motivational Stories एक लड़के से पिता बनने तक का सफर.

हर घर और परिवार के सबसे मजबूत जड़ पिता ही होते है,जों अपने पूरे परिवार को संभालते है।बिलकुल एक पेड़ की जड़ की तरह,पेड़ की जड़े जितनी मजबूत होती है पेड़ उतना ही हरा -भरा और बड़ा होते जाता है। वैसे हमारे पिता भी होते है।आज की कहानी एक सच्ची कहानी है father story in Hindi motivational Stories एक लड़के से पिता बनने तक का सफर।
 
Real story for father 
Father love

एक छोटे से गांव में रहने वाला लड़का|उन्होंने अपनी उम्र से ज्यादा अपनी ज़िन्दगी में उतार- चड़ाव देख चुके थे।और वह नहीं चाहते थे कि उनके वजे से  किसी की लाइफ खराब हो इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वह शादी नहीं करेंगे।

लेकिन घर और परिवार के सामने किसकी चलती है?हम सभी को अपने परिवार वालो की बात सुननी होती है,वैसे ही उन्होंने भी परिवार वालो के खुशी के लिए खुद के किए गए फैसले को बदल दिया और शादी कर लिए।

अब शादी हुई है तो उनका एक अपना परिवार भी बनेगा आगे भविष्य में, " इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न कहीं बाहर शहर में जाके काम किया जाए, जिससे कि मैं अपने परिवार वालों का अच्छे से ख्याल रख सकूंगा।

और वह मुंबई शहर में आके अपने एक दोस्त के पास रहने लगे। परिवार और अपनी पत्नी से दूर, " कुछ दिन तक  वह ऐसे ही यहां - वहां काम की तलाश में भटकते रहे लेकिन उन्हें  काम कहीं नहीं मिला"  फिर भी उन्होने उम्मीद बनाए रखा और हिम्मत नहीं हारी।

घर से जब भी call आता तो कह देते मै ठीक हूं,और मैं जल्दी ही पैसे भेज दूंगा। वह अपनी तकलीफ किसी से नहीं बताते क्योंकी वह किसी को परेशान नहीं करना चाहते थे।

दिन ऐसे ही गुजर रहे थे काफी दिन हो चुका था उन्होंने सही से पेट भर खाना भी नहीं खाया था। "उप्पर वाले के घर देर है अंधेर नहीं"! यह कहावत तो सभी से सुना होगा।

उनका भी एक सही समय आया उन्हे एक जगह काम मिला, फिर उन्होंने अपने पूरी ईमानदारी और लगन से काम करने लगे। उसके कुछ ही दिन बाद घर से फोन आया और खुश खबरी थी, वह पिता बन चुके थे।
यह सुन कर उन्हे कितनी खुशी हुई होगी इसका अंदाजा आप सभी लगा सकते है।

लेकिन बुरी बात यह थी कि वह अपने बच्चे को देख नहीं सकते थे "दूर थे ना अपने परिवार से और उस समय smart phone भी नहीं हुआ करता था"। फिर भी उन्होंने अपनी खुशी एक पत्र के जरिए लिख कर भेज दिए।

समय बीतता गया........

कुछ साल बाद......."खुश थे वह काफी क्योंकि वह अपने घर जा रहे थे। उनका पहला बच्चा जिसे उन्होंने अभी तक नहीं देखा अब उसको देखने की खुशी इतनी थी कि बस वह जल्दी से अपने गांव पहुंच जाए। घर पहुंचे ही सबसे मिलें और अपने बच्चे को पिता का प्यार भी दिए"।

अब उनका एक परिवार बन कुछ था , तो उन्होंने इस बार अपने पत्नी और बच्चे को भी साथ लेकर जाने का फैसला किया। शहर जाते ही वह फिर से काम करने लगे, दिन भर काम करके थके हुए पिता फिर भी अपने बच्चे के साथ खेलते और सारी थकान भूल जाते थे।

सब सही चल रहा था,की एक दिन किसी दुर्घटना में उनके एक आंख में काफी चोट लग गई और वह कई दिनों तक अस्पताल में रहे। अस्पताल में कई दिनों तक रहने के कारण अब उनका काम भी छूट गया और आंख में लगने के वजे से उन्हे एक आंख से कम - बहुत - कम दिखने लगा था 

उन्होंने इसे अपने कमजोरी ना समझते हुए,सब कुछ भूल कर  अपने कुछ जमा किए गए पैसों से एक छोटा सा दुकान चालू किया।जिसमें उनकी पत्नी भी उनकी मदद करती थी। ईमानदार और मेहनी होने के कारण उस छोटे से दुकान से उन्होंने बहुत कुछ किया।

लोगो का दिल भी जीते और अपनी एक पहचान बनाई जिस बस्ती में वह रहते थे वहां  हर कोई उन्हे उनकी ईमानदारी से पहचानता था जिसके चलते उनकी दुकान भी अच्छी चलने लगी।और धीरे - धीरे उनका परिवार और बड़ा होने लगा था अब उनके ३ बच्चे थे।

उन्होंने अपने बच्चो को कभी भी उस माहौल से नहीं गुजरने दिया जिसे वह निकल कर आए है।  २० की उम्र में शादी हुई थी।अपनी मेहनत से उन्होंने अपने बच्चो के लिए बहुत कुछ किया,कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होने दिए।

२००५ में उन्होंने सबसे पहला घर लिया, फिर ऐसे ही धीरे - धीरे अपने सभी बच्चो के नाम पर एक - एक घर लिया, सभी को अच्छे से पड़ाए और एक अच्छा और सच्चा इंसान बनाए। 

जिन्दगी में इतना सब होने के बाद भी वह हमेशा मेहनत करते हैं और आज भी वह पिता खुद अपना घर चला रहे है। पिता बनना तो बहुत आसान है लेकिन पिता का फर्ज पूरा करना इतना आसान नहीं होता।
तो कहानी यही ख़त्म होती है.........

देखा दोस्तो हमारे पिता कितना कुछ करते है हम सभी के लिए और हम सब उन्हे समझ नहीं पाते, बहुत सारी कहानियां मा पर होती है, पिता पर बहुत ही कम लिखा या सुना जाता है।

इस कहानी को लिखने का मेरा मकसद बस इतना था कि हम सब अपने पिता को समझे और उनका हिम्मत बने और उन्हे अहसास दिलाए की "वह है तो हम है"

कैसी लगी यह कहानी आप सभी को comment में जरूर बताएं और इस कहानी father story in Hindi motivational Stories एक लड़के से पिता बनने तक का सफर। इसे share जरूर करे।

 इस कहानी को भी पड़े पसंद आयेगी.



1 Comments:

Unknown said...

Nice keep it up