Saturday, 8 August 2020

Emotional heart touching story in hindi

 Emotional heart touching story in Hindi


आज की story एक emotional heart touching story पर पूरी कहानी है।जिसे पढ कर सायद आप भी खुद emotional हो जाए। लेकिन आप लोगो को इस कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
 
     Emotional heart touching family story in Hindi  इस कहानी में उन मा -बाप के बारे में बताया गया है जो एक समय बाद अपने खुद के बच्चो से दूर एक वृद्ध आश्रम में रहते है। और उनके बच्चे अपनी लाइफ बड़े मजे से enjoy करते है,बिना ये सोचे समझे कि उनके माता -पिता कैसे होंगे वहा।
         तो यहां से शुरू होती है कहानी, (वृद्ध आश्रम) इस जगह पर सभी बुज़ुर्ग रहते है,जिनके बच्चे उनको घर से बेघर कर देते है।आखिर कर कैसे लेते है ये ऐसा? आप खुद सोचिए वो मा- बाप जो हमे खूद इतना बड़ा करते है और कुछ बच्चे बड़े होने के बाद उन्हें उनके ही घर से निकाल देते है सिर्फ खुद के मतलब के लिए।
  
   "आज फिर एक बेटे ने अपनी मां को अपने घर से दूर एक वृद्ध आश्रम में भेज दिया,सिर्फ यह बोल कर की "मां बस कुछ दिन फिर में आप को लेने आ जाऊंगा!  
     वृद्ध आश्रम 
 एक बुज़ुर्ग आदमी।" जी नमस्ते हमें यहां वर्मा के नाम से बुलाया जाता है,
                  फिर (अंजलि जी) वो मा जितका बेटा उनको अपने घर से निकाल दिया था। उन्होंने जवाब दिया (थोड़ी नम आवाज) में बोली।

      ऑ..... नमस्ते मेरा नाम अंजलि है, मै बस कुछ दिनों के लिए यहां आई हू वो क्या है ना,मेरा बेटा घर की shifting में लगा हुआ है।तो मेरी देख- भाल के लिए कोई नहीं था।

वर्मा जी -अच्छा ...... तो करता क्या है आप का बेटा?

अंजलि जी-(गर्व के साथ बोली) बहुत बड़ी company का menagere है मेरा बेटा। 
         
वह उसे call करने का सोचती है। जरा पूछ तो लू वह  घर पहुंचा या नहीं?)
Call ..... Tring.....Tring लग तो गया लेकिन बेटा phone उठाते ही बोला "हा मा meeting में हूं थोड़ी देर में call करता हूं।बेटा बस इतना पूछना था?तूने खाना खाया या नहीं...मा  कहां
 ना अभी busy हूं चलो रख रहा हूं में phone byyyy........

वर्मा जी- तो क्या कहा आप के लाडले बेटे ने?

अंजलि जी -(उदास होकर बोली) कहा थोड़ी देर में call करता हूं।

वर्मा जी -" हा ,हा.. और क्या कहेगा? सालो से हूं मै यहां सब कुछ देख और समझ लिया है मेरी आंखो ने। आप जितनी जल्दी इस जगह को  अपना समझने लगेंगी उतना ही अच्छा होगा आप के लिए भी।

अंजलि जी- (इस बार तो वह गुस्सा में जवाब देने लगी) कैसी बात कर रहे है आप मेरा बेटा वैसा नहीं है (फिर प्यार से बोली) वो तो बहुत प्यार करता है मुझसे और मै यहां कैसे रह सकती हूं अपने बेटे से दूर बिलकुल नहीं ......

वर्मा जी -"जो आप बोल  रही हों वो सच हो।वैसे यह जगह इतनी भी बुरी नहीं है, शांति है,सुकून है,समय पर खाना मिल जाता है(फिर थोड़ा उदास हो कर बोले) घर वालो के साथ नहीं है लेकिन दोस्त बहुत है यह।

अंजलि जी -(फिर एक बार गुस्से से) देखिए मुझे कहना तो नहीं चाहिए लेकिन कहना पड रहा है। जलते है आप मुझसे क्योकि मेरा बेटा तो आ जाएगा मुझे लेने और आप को तो कोई पूछता तक नहीं है। 

"वर्मा जी को अब इन बातो से कोई फर्क नहीं पड़ता,क्योकि उनके बच्चे उनको कई साल पहले ही खुद से दूर कर दिए थे सिर्फ कुछ property के लिए"।
                        (लेकिन उस मा को क्या पता था कि उसका बेटा उसे बस एक बहाने से घर से बेघर कर दिया था।और उसके पास तो अपनी मा से बात करने तक का समय नहीं था,जब भी उसकी मा उसको कॉल करती वह कुछ न कुछ बहाना बना लेता और call cut कर देता)

  लगभग एक महीना बीत चुका था।पर उसका बेटा नहीं आया फिर उसने कॉल किया अपने बेटे को,

 Tring.......Tring......Tring...hello बेटा
हा मा में office में हूं बाद में करता हूं कॉल , 

अंजली जी- (आंखो मे आशु थे) बेटा तू भूल जाता है एक महीना हो गया है कब आएगा मुझे लेने ?....
 आता हूं ना मां कुछ काम है बस उनको पूरा करके आता हूं चलो byyyyyy call cut ho Gaya

वर्मा जी- "आप को मेरी बाते बुरी लगती है लेकिन मेरी बात मानिए यहां उम्मीद लगाने का कोई मतलब नहीं है जो हो रहा है उसे बरदास कीजिए,यही हमारा नसीब है।

अंजलि जी -"नसीब आप का खराब होगा।देख लीजिएगा मेरा बेटा मुझे लेने जरूर आएगा और फिर में आप को बताऊंगी आप की बोली सारी बाते गलत होगी। (नम आवाज में) मुझे तो बस इस बात का tension है मेरा बेटा मेरे बिना रह कैसे पारा होगा?

वर्मा जी - देखिए अंजलि जी। मै भी चाहता हूं कि आप का बेटा आप को लेने आए, लेकिन मैं जानता हूं इस वृद्ध आश्रम में जो एक बार आ जाता है यही का हो कर रह जाता है।
    (दोनों ही अपने अपने परिवार को याद कर के खामोश बैठे थे। और अपने दर्द को जाहिर नहीं होने दिए)

एक दिन अचानक से अंजलि जी बीमार हो गई और अपने बेटे से बात करने के लिए तड़प रही थी।लेकिन बेटे ने मा को घर लाने के डर से एक बार भी कॉल नहीं उठाया। आखिर में उस मा ने अपने बेटे की तस्वीर अपने दिल से लगा कर अपनी आखिरी सांसें तोड दी। 

वर्मा जी के लिए यह सब पहली बार नहीं था हर दो महीने बाद कोई ना कोई आता और उनके सामने अपनी आखिरी सांसें तोड देता।


बस इतनी सी थी ये कहानी,
         दोस्तो मै आप सब से बस इतना ही कहना चाहती हूं कि अपने माता पिता में अपनी बचपन की यादों को हमेशा याद रखे क्योंकि उन्होंने ही हमें इतना बड़ा किया है। और हम मतलब कुछ बच्चे जो उनके प्यार को नहीं समझ पाते और उन्हें खुद से दूर कर देते है। 

उम्मीद है आप सभी को ये कहानी emotional heart touching family story पसंद आई होगी।यकीन मानिए  मेहनत लगी है मुझे यह स्टोरी लिखने में, स्टोरी पसंद आई तो आप लोग भी  इसे share करे और comment में जरूर बताएं कैसी लगी स्टोरी इससे मुझे हौसला मिलता है 
 

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