Sunday, 6 September 2020

हिंदी नैतिक कहनियां moral story in hindi

 Moral story in hindi हिंदी नैतिक कहानियां

हर कहानी में एक सच्चाई छुपी होती है। हम अपनी हर बात और दर्द को कहानी या गाने के मदद से सभी तक बोल कर लिख कर बता सकते है आज की moral story in hindi यह कहानी एक बहू पर है।

हिंदी नैतिक कहनियां moral story in hindi

बात कुछ यहां से शुरू होती है...............

चाहे परिवार छोटा हो या बड़ा घर में प्यार तभी होता है जब हर कोई एक दूसरे हो समझे क्योंकि दूसरो का दर्द और उनकी बाते समझना सबसे ज्यादा जरूरी होता है।


एक बहु अपनी सास से क्या चाहती होगी ???? या फिर एक सास अपनी बहू से क्या चाहती होगी????? यह सवाल करना तो बहुत आसान है पर इसका जवाब देना और इसको समझ पना इतना आसान नहीं है!


चलो आज इस कहनी की मदद से जानते है इसका जवाब moral story in hindi हिंदी नैतिक कहानियां.....


" घर बनाना बहुत ही आसान है" लेकिन उसको एक पूरा परिवार बनाना इतना आसान नहीं। कहते है हर कमियाब आदमी के पीछे उसकी औरत का हाथ होता है और कहीं ना कहीं ये बात सच भी है


बहू सही हो तो बेटा अपने माता - पिता को कभी भी खुद से दूर नहीं जाने देता और सास सही हो तो अपनी बहू को कभी भी तकलीफ नहीं देती।

तो चलिए कहानी पड़ते है........moral story in hind 

माहौल बड़ा ही खुशी का था आखिर घर के सबसे बड़े बेटे की शादी जो है, घर में बहू आने वाली है।  घर को सजाना बहू के लिए शौपिंग करना शादी में देने वाली हर चीज़ लिया जा रहा था हर छोटी सी छोटी बातो का ध्यान रखा जा रहा था।


घर की पहली बहू है उसे कुछ कमी नहीं होनी चाहिए इस बात का सबसे ज्यादा ध्यान सास दे रही थी, सारी चीजे बहू को पसंद आए इस बात का ख्याल रख कर वह सब कुछ उसके लिए ले रही थी।


बहू भी आखिर लाखो में एक  काफी सुंदर और सुशील ......सब अच्छे  से हुआ शादी हो गई बहू भी घर आ गई और परिवार में एक सदस्य और जुड़ गए जिससे परिवार और बड़ा होने वाला था।


सास की खुशी कुछ अलग ही थी वह तो बस ये सोच रही थी जितने दुःख और दर्द मैंने देखा है वह सारे दुःख दर्द से मेरी बहू को नहीं गुजरे दूंगी।

हिंदी नैतिक कहनियां moral story in hindi


सुरु में सब नया - नया था एक दूसरे को जानना समझना वक़्त लग जाता है। यहां भी कुछ ऐसा ही था?? अब सास की सोच थोड़ी सी पुरानी थी वह चाहती थी कि उसकी बहु साडी में रहे लेकिन बहू को साड़ी पहनना आता ही नहीं था। फिर भी सास ने उसे कभी ज़ोर - जबरजस्ती नहीं किया।

उसे उसकी पसंद की कपडे ही पहनें बोल दिया। ताकि बहू को भी बुरा ना लगे।सास ने सोचा वक़्त के साथ सब सीख जाएगी। 

धीरे - धीरे बहु कि बोली हुई हर बात गलत साबित होती गई। जैसे शादी के पहले हर बार कॉल पर बहू ये ही कहती कि मां सादी के बाद घर का हर काम में करूंगी। मैं मच्छी ये सब खाती तो नहीं लेकिन आप सभी के लिए बना लूंगी।


घर का काम तो छोड़िए सास को वक़्त पर चाय भी नहीं दिया जाता था मच्छी बनाना तो दूर उन बर्तनों को धोती भी नहीं थी बहू को सास का बोलता तक पसंद नहीं आता था वह हर बार हर बेवजह सी बाते बना कर घर में लडने लगती।


और घर का बेटा भी अब अपनी मा से ज्यादा अपनी पत्नी की बातो पर यकीन करता और बस अपनी पत्नी की बात सुन कर अपनी मां को चुप करा देता। घर बनाना और घर तोड़ना सब बहू के हाथ में होता है,और बेटे की सोच पर होता है।

Hindi story - एक कहानी ऐसी भी

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शादी को  कुछ महीना हुआ फिर एक खुश खाबिरी आई सास नानी बनाने वाली थी।और घर में एक और सदस्य आने वाला या आने वाली थी, अब सारी पुरानी बातो को भूल कर सास अपनी बहू का ध्यान रखने लगीं।


उसे घर का ज्यादा काम भी नहीं करने देती हर पॉस्टिक खाने फलफ्रूट लाके देती हर तरीके से बहू का खयाल रखा जा रहा था किसी चीज की कमी नहीं थी।


 जब भी जो मांगी सब कुछ लाकर देता था उसका पति उसे, सास ने भी सोचा मैं तो  कभी इतना सब खाई नहीं इसलिए मैं अपनी बहू को उसकी पसंद की हर चीज उसे खिलाऊंगी, बस उसकी सास उसे तीखा खाने से रोका करती थी लेकिन उस बहू को अपनी सास कि यह बात भी गलत लगती।


दिन निकलता गया और बहू हो हॉस्पिटल में एडमिट करने का समय आ गया सभी बहुत खुश थे अब पहले जैसा घर में कुछ नहीं होगा अभी baby के साथ खेलते रहेंगे तो घर में कोई लड़ाई झगड़ा नहीं होगा।


लेकिन उप्पर वाले को ये मंजूर नहीं था baby हुआ तो बस कुछ पल का साथ था बस आई एक छलक दिखा कर फिर से भगवान के पास चली गई🥺उस दर्द को महसूस करना बहुत ही मुश्किल है सब बिखर गया था।


घर में सभी टूट चुके थे खुशी का माहौल एक मातम में बदल गया। घर का बेटा पिता बनने की चाह में पता नहीं कितने सपने देख कर रखा था अपने बच्चे के लिए लेकिन सब टूट गया। 


पता नहीं इसके पीछे उप्पर वाले ने क्या सोच कर रखा था?? जों उसने घर आई इतने प्यारे से बेबी को अपने पास बुला लिया। फिर भी सास रोज़ बहू को खुद नेहलाती और  खाना पीना सब उसके कमरे में दिया जाता था कुछ बाते जो वो सास खुद के दिल में रख कर अपनी तकलीफ किसी से नहीं कहती थी 

लगभग एक महीना हो चुका था इस बात को लेकिन फिर भी बहू अभी तक ठीक नहीं हुई वह अभी भी  अपने कमरे में रहती और घर का सारा काम सास करती थी।


वे सास भी कभी बहू थी उसने अपनी ज़िन्दगी में इतने दर्द देखी थी कि बस वह नहीं चाहती कि कभी भी उसकी वजे से उसकी बहू को कुछ दर्द हो और कोई बात बूरी लगे इसलिए वह हर बार सास होके भी एक मां की तरह अपनी बहू का ध्यान रखती थी।


लेकिन फिर भी उस सास को कभी भी बहू की तरफ से ये आहसस नहीं हुआ कि उसकी बहू भी उसे अपनी सास नहीं बल्की मां समझती है।


घटना दुर्धटना हर महीने बहू के साथ कुछ ना कुछ दुर्धटना हो जाता और उसे चोट लग जाती सास ने सोचा बहू को उसके घर घुमा के ले आती हूं सायद सब सही हो जाए और मेरी बहू को तकलीफ ना हो 


वहा बहू के घर भी जाने के बाद उसे कुछ ना कुछ होता ही था। बहू ने अपने पसंद कि कपडे पहन रखे थे अब इसमें उस सास का क्या कसूर था कि उसकी बहू साड़ी नहीं पहनी।


बहू के घर जाते ही उसकी मां ने उसे पुछा तुझे ऐसे ही कपडे पहनाया जाता है वहा और फिर अपनी बेटी की सास को कहने लगी ऐसे कपड़ों में भेजा जाता है क्या बहू को उसके मायके(बेटी के घर) अब भी उसकी सास चुप थी।

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क्योंकि उसे पता था, यहां बोलना और किसी को समझाना सब बेकार है इसलिए उसने बस इतना ही कहा कि अपनी बेटी से ही पूछ लो आप उसकी पसंद क्या है?


और फिर वह बहू को उसके घर छोड़ के अपने घर आ गई

सब कहते है सास कभी मां नहीं बन सकती लेकिन ये बात गलत है सास भी एक मां है जब हम लड़कियां अपनी सास को सास नहीं बल्कि एक मां समझे तो भला क्यों किसी सास बहू में लड़ाई होगी।


जरूरी तो नहीं ना कि हर बार सास को अपनी बहू को समझना हो अगर हम लड़की बहू बनने के बाद अपनी सास को एक बेटी वाला प्यार देंगे तो क्या वो सास मां वाला प्यार नहीं देगी क्या?????

हम कुछ भी कर ले हमारा कर्मा कभी भी हमारा पीछा नहीं छोड़ता है जैसा हम करते है बदले में हमें वही मिलता है अगर आज हम किसी को बेवजह का  तकलीफ देंगे तो कल हमे भी बदले में वही मिलेगा।

उस सास को जरूर उसकी जिन्दगी में बहुत खुशी मिलेगी क्योंकि उसने कभी अपनी बहू का बुरा नहीं किया और ना ही किसी ओर का लेकिन अच्छे लोगो को शुख़ भी देर से मिलता है। वी

इस कहानी को लिखने का एक ही मकसद है कि सास जब तक सास वाला बर्ताव नहीं करती जब तक हम बहू वाला बर्ताव नहीं करते। जिस दिन सास को सास नहीं मां समझने लगेंगे उस दिन से सास बहू वाला कोई खेल ही नहीं होगा।


इस कहानी को पड़ने के बाद आप का क्या सोचा है आप सब comment में जरूर बताएं के यह कहानी moral story in hindi हिंदी नैतिक कहानियां कैसी है  अच्छी लगीं आगे share जरूर करना।














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