Wednesday, 12 August 2020

एक साथ बड़ा कदम motivational inspirational story in Hindi

Motivationa Story in hindi एक साथ बड़ा कदम

Hii दोस्तो उम्मीद है सभी अच्छे होंगे,आज की स्टोरी में उन बच्चो के बारे में बताया गया है।जों बचपन से या किसी दुर्घटना के कारण चल नहीं पाते,तो कहानी शुरू करे..... Inspirational Motivational Story in Hindi एक साथ बड़ा कदम। विशाल कि लाइफ कुछ सालो से नचाहते हुए भी इस व्हीलचेयर(wheelchair) पर ही बीत रही थी। उसका एक दोस्त (नीलेश)जो हर समय उसके साथ रहता था। पूरी स्टोरी यहां से है......
 
    नीलेश।"पापा मै वहां दुबारा नहीं जानें वाला, विशाल बहुत ज़िद्दी और बिगड़ा हुए छोकरा है। वह हमेशा बस अपनी ही चलाता है सारे अच्छे खिलौने अपने पास रख लेता है और मुझे हथियार देकर दुश्मन की सेना बना देता है।

  उसके पिता चुप रहे,हालाकि वह सब सुन रहे थे। लेकिन फिर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा।

नीलेश-   "पापा आप सुन नहीं रहे क्या ?कुछ बोल रहा हूं में आप से और वह चिल्लाने लगा। 

"तुमने जों कहा है, वो सब मैंने सुना उसके पिता ने जवाब दिया। जो बात तुम्हे नहीं पसंद है उसके लिए मैं तुम्हे जबरदस्ती बिलकुल नहीं करना चाहता हूं।इतनी सब बात हुआ फिर वह दूसरे दिन विशाल के घर नहीं गया।

 नीलेश अब दूसरे दिन बल्लेबाजी(batting) करने चला गया शाम के 6 बजते ही,अचानक से उसकी नजर विशाल के घर के खिड़की पर पड़ी उसे लगा की विशाल उसे खिड़की से देख रहा है,और वह आऊट(out) हो गया।नीलेश को लगने लगा कि इसकी वजह भी विशाल है।

इतना सोचते हुए वह अपने सभी दोस्तों को बिना कुछ बोले पार्क(garden) से विशाल के घर की तरफ चला गया और दरवाजे पर पहुंचते ही विशाल के पिता कहने लेने "बेटा आज इतना लेट हो गए आप विशाल कबसे आप का wait कर रहा है," उसे अपने मन में उसकी गलती का अहसास हुआ।

विशाल दरवाज़े के पास ही था।धीरे -धीरे उसने अपनी व्हीलचेयर(wheelchar) घुमाया और नीलेश के सामने आया।"तुम अपनी(batting) क्यों छोड़ आए?क्या तुम आउट (out) हो गए?"

नीलेश -हा "मैं आऊट हो गया था,फिर उसे लगा कि सयाद विशाल की आंखे लाल है। उसने पूछा? क्या तुम ठीक हो मुझे कुछ देर हो गई आने मै इसलिए तो कहीं तुम उदास नहीं हो ना?

"इस कहानी से हमें motivational होने मिल रहा है और यह बहुत ही inspirational भी है"।

विशाल ने कुछ नहीं कहा वह बस अपने खिलौने को देख रहा था और अपने मन मै ही ना जाने कितने दर्द को छुपा रहा था।वह खुद से ही सवाल करने लगा, क्या? मेरी ज़िन्दगी में रोना ही लिखा है क्या मै कभी चल नहीं पाऊंगा, उन लोगो की तरह भाग नहीं पाऊंगा,मेरे साथ ही क्यों हुए ऐसा उस दिन वह दुर्घटना नहीं हुई होती तो आज में भी इन सबके साथ खेलता, इस तरह इस व्हीलचेयर पर नहीं बैठा होता।

दोनों ही चुप रहे। नीलेश यह सोच रहा था कि पहले विशाल बात करे और विशाल यह सोच रहा था कि पहले नीलेश बोले। फिर इतने में ही विशाल के पिता आए और कहने लगे "क्यों विशल,तुमने नीलेश से बैठने और अपने साथ खेलने के लिए नहीं कहा?"

 विशाल गुस्से में कहने लगा।"कुछ देर खड़ा रहने से इसके पैरो में दर्द नहीं होने लगेगा।यह खिलौने खुद ही ले सकता है,इसके लिए ही तो यह यहां आया है, है ना?"अपनी batting छोड़ कर।

विशाल के पिता- "बेटा नीलेश तुम इसकी बातो का बुरा मत मानो।आज तुमने देर कर दी ना आने में इसलिए विशाल नाराज़ है।

नहीं,मै नाराज़ नहीं हूं वह चीख पड़ा।और अपने हाथ में लिया हुआ खिलौना उसने फैक दिया,और कहने लगा "मैं अपने आप में बहुत खुश हूं।मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए."

नीलेश उसे गैर से देखने लगा और उसने देखा कि विशाल का हाथ कांप रहा है,फिर उसने खुद को विशाल की जगह रख कर सोचा की आगर में इसके जगह होता तो सयाद मैं तो खुद को संभाल भी नहीं पता,उस दुर्घटना के बाद अब व्हीलचेयर पर ही बैठे रहना विशाल खुद को लाचार महसूस करता होग!

फिर मुस्कुराते हुए नीलेश कहने लगा, मै वादा करता है कि अब आगे से मै समय पर तुम्हारे पास आ जाऊंगा,वैसे मुझे नहीं लगता कि तुम्हे मेरी याद आई होगी(मस्ती में कह रहा था)
"बिलकुल नहीं, विशाल बड़बड़ाया"।
"नीलेश जानता था कि वह झूठ बोल रहा है"।

और अब दोनों ही बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे। नीलेश समय पर आ जाता और दोनों मिल कर साथ खेलते थे। समय अच्छा ही चल रहा था कि फिर कुछ दिन बाद उनके जीवन में एक और घटना घटी।

विशाल का एक ऑप्रेशन opresion होने वाला था।इस ऑप्रेशन के बाद विशाल खुद से चलने लायक हो जाता उसे किसी wheelchair के सहारे नहीं रहना पड़ता,दुर्घटना के बाद वह कई महीनों तक अस्पताल hospital में रह चुका था।इस बार वह वहां नहीं जाना चाहता था, उसे ऑप्रेशन से डर लग रहा था।

नीलेश ने विशाल का हौसला बढ़ाने के लिए उससे कहने लगा।"हो सकता है जल्दी ही हम साथ में cricket खेले"।
पागल मत बनो।मै चल भले लू, पर दौड़ नहीं पाऊंगा।
अगर तुम चल लोगे तो batting तो कर सकते हो। मैं तुम्हारा रनर runer बन जाया करूंगा।

और हा! मैं वादा करता हूं कि तुम्हे देखने मैं रोज अस्पताल आया करूंगा। बस तुम हिम्मत रखो और खुद पर भरोसा रखो। दोनों ही रोने लगे और विशाल को hospital भेज दिया गया। नीलेश घर से रोज उसके लिए भगवान से प्रार्थना किया करता था।

उसे देखने अस्पताल भी जाता रहा ताकि विशाल को हिम्मत मिले और वह जल्दी चलने लगे।उप्पर वाले की दुआ से विशाल का ऑप्रेशन सही रहा ओर वह जल्दी ही घर जा सकता था। यह सुन कर दोनों की खुशी का कोई अंदाजा नहीं था, विशाल के पिता भी बहुत खुश थे की अब वह अपने बच्चे को पहले को तरह चलते और खेलते देख सकते है 

तो देखा आप ने दोस्तो अगर हम खुद पर यकीन रखते हो हम कुछ भी कर सकते है, नीलेश ने विशाल को बहुत ही हिम्मत दी थी। इस कहानी को आप तक लाने का मेरा एक ही मक़सद था कि हम कभी भी खुद को किसी से कमजोर ना समझे।

कैसी लगी यह motivational Story in Hindi एक साथ बड़ा कदम comment में जरूर लिखना और मुझे आप सबके suppot कि जरुरत है तो plzzz story को अपने social sites पर शेयर करिए इससे उन लोगो की मदद होगी जो खुद को कमजोर समझे है।                          Thanx.........


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