सच ये है कि मां तू है।
तो हम हैं.......
Emotional heart touching story for mother
"मां,एक ऐसा शब्द है जो हर बच्चा सबसे पहले बोलना सीख जाता है"
कहते है ना, मां की कदमों में जन्नत होती है!
"आज की कहानी एक ऐसी लकड़ी पर है। जो अपनी मां की यादें अपने दिल में रखे।खुद से ही उल्छी हुई थी,जिसकी मां को गुजरे एक साल ही हुआ था।और उसके पिता दूसरी शादी का फैसला कर रहे थे।
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memories |
ऐसे में क्या बीतेगी लक्ष्मी पर ,क्या वो ये सब शेह पाएगी?
कहानी यहां से शुरू होती है???...............
मेरे दरवाजा खोलते ही पापा बोले।"ये नीता आंटी है"?नीता आंटी कुछ घबराई हुई थी।फिर भी वह मुस्कराने की कोशिश कर रही थीं।मेरे मन में बहुत से सवाल आने लगे।
यह हैं कोन? कोई ऐसी रिश्तेदार, जिनसे मैं पहले कभी नहीं मिली या मम्मी की कोई सेहली,जो पहले कभी घर न आई हो?इतने में ही पापा ने कहा.......
"यह मेरे ऑफिस में मेरे साथ ही काम करती है।
ऑफिस! तब ये घर में क्या कर रही हैं? वह भी रविवार को।आज तो पापा ने मुझे पिकनिक पर ले जाने का वादा किये थे।फिर कहीं अब वह घर में ही काम करने का इरादा तो नहीं बना रहे?यह सब में खुद में ही सोच रही थी।
इतने में ही पापा ने कहा।"नीता आंटी को बैठने और पानी के लिए नहीं पूछोगी?" अब नाराज होने की बारी मेरी थी। मेरा मन चिल्लाकर कहना चाह रहा था कि यह ग़लत बात है।पापा नें वादा तोड़ा है।मैंने किसी तरह खुद को संभाला और रसोई की ओर बढ़ गई।
पापा मेरे पीछे -पीछे रसोई में आ गए। "और कहने लगे अगर तुम पिकनिक के लिए चिंतित हो तो हम अभी भी जा सकते है।नीता आंटी भी साथ चल रही है। मैं चाहता हूं कि तुम उनसे अच्छा व्यवहार करो वरना वह सोचेंगी कि तुम्हारी मम्मी ने तुम्हे कुछ भी नहीं सिखाया.....।
मेरी आंखो में आंसू आ गए।मम्मी को गुजरे एक ही साल होने को आया था ....।इतना समय बीत जाने के बाद मुझे लगा था में सब झेल सकती हूं।लेकिन उस समय उनका जिक्र करते ही मुझे रोना आनें लगा था। मैंने हेहसुस किया कि ऐसी बात पापा की निर्दयता (emotionless) ही हैं।कहीं न कहीं उन्हें भी इस बात का अहसास हुआ। शायद वे बगैर सोचे - समझे बोल गए थे क्योंकि उनकी आंखो में भी आसु थे।
उन्होंने मुझे गले लगा लिया और रोते हुए कहने लगे,"मैं शर्मिंदा हूं, मैं तुम्हे दुख नहीं पहुंचाना चाहता था....अब मैं ऐसा कभी नहीं कहूंगा।" अब मुझे और बुरा लगने लगा में सिर्फ खुद के बारे में सोच रही थीं उनके बारे में नहीं।रोते रोते ही।फिर मैंने सोचा नीता आंटी को पिकनिक पर ले जाने के पीछे जरूर कोई कारण होगा। मैं कोई छोटी बच्ची नहीं थी,में १२साल की हो चुकी थी।
फिर,मैनें नीता आंटी से उसी तरीके से उनसे बात शुरू की,जिस तरीके से मम्मी अपने से पहली बार मिलने वाले लोगो से किया करती थे,"आप हमारे साथ पिकनिक पर चल रही हैं,ये जानकर मुझे अच्छा लगा।"उनके चेहरे पर एकदम से चमक आ गई।उन्होंने कहा "मुझे भी" फिर अपने साथ लाए हुए गिफ्ट्स मुझे दिए। और सारी मेरी पसंद की किताबें थी।फिर मेरे मन में सवाल आया उन्हें कैसे पता ये सब?......जरूर पापा ने बताया होगा।
"फिर पापा ने दादी को आवाज लगाई।मां नीता आई है।"
दादी भी इन्हें जानती है! हो क्या रहा है ?
पापा शायद मुझे बताना भूल गए होंगे।में तो सो रही थी,फिर वह मुझे कैसे बता पाते?
मैंने पिकनिक में मजा लेने कि कोशिश की। मम्मी की खातिर यह करना पड़ा ताकि पापा वह सारी बाते फिर कभी ना कह सके और नीता आंटी यह ना सोचे की मम्मी ने मुझे कुछ नहीं सिखाया। "यह सब करना मुश्किल था - बहुत ही मुश्किल था।नीता आंटी मुझे बिलकुल भी नहीं पसंद थी। मैं सचमुच चीखना चाह रही थी और दोनों से भिड़ जाना चाहती थी।लेकिन मां की यादें और उनके सिखाई सारी बातेे मुझे संभाल रही थी।
मैंने एक दिन पापा और दादी को बात करते सुना।मुझे सुनाई पड़ा,......"लगता है लक्ष्मी को नीता अच्छी लगने लगी है।वह उसकी अच्छी मां बनेगी? यह सब सुनने के बाद मैं अपने कमरे में गई।मेरे कान सनसना रहें थे। मैं भी मर जाना चाहती थी,पापा से नफरत है मुझे और सबसे ज्यादा नीता आंटी से है।फिर मैं बहुत रोनें लगी।
फिर एकदम से मेरे दिमाग में आया,मैं नानी के घर जा सकती हूं।वह मेरी बात समझ सकती है।फिर में घर के पीछे वाले दरवाजे से निकल गई।मुझे जाते हुए किसी ने नहीं देखा था।
"नानी!" उनके दरवाजा खोलते ही मैंने सब कुछ बता दिया उन्हें और मैं फुट फूटकर रोने लगी।उन्होंने कुछ नहीं कहा?जबकि मैंने उन्हें बताया था कि वे लोग मम्मी की जगह किसी ओर को ला रहे है।फिर मेरे मन में बहुत से सवाल आने लगे ।मैंने ये सब क्या कर दिया, इसके बारे में पापा के लिए मुझे एक पत्र छोड़ देना चाहिए था।वे हद से ज्यादा परेशान हो रहे होंगे कि में कहा चली गई।
नहीं ,वे तो नीता आंटी से शादी करना चाहते है,मेरे यहां आने से उनको कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। तभी मैंने नानी से कहा क्या हमें पापा को कॉल करना चाहिए? नानी ने कहा मैंने पहले ही कर दिया है।
और तुम उसके लिए दुनिया में सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट हो। खासकर तुम्हारी मां के जाने के बाद ।
मै नीता आंटी से नफरत करती हूं।दरहसल वह बुरी नहीं है,लेकिन मेरे मन में जो मम्मी की जगह थी वह न कोई ले पाया हैं, न ले पाएगा।
"तब नानी बोली,तुमने अपने पापा के बारे में सोचा उनकी बहुत लम्बी उम्र पड़ी है।तुम बड़ी हो जाओगी और अपनी शादी के बाद चली जाओगी,फिर कोन उन्हें संभालेगी?
मुझे खुद पर शर्म आने लगी थी। मैंने इस बारे में तो सोचा ही नहीं था। फिर भी मेरे मन में एक ही बात आरी थी।.........
"मम्मी की जगह कोई नहीं ले सकता।
"बिलकुल।उन्हें ऐसी कोशिश भी नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपनी अलग जगह बनानी चाहिए और तुम्हे इसकी अनुमति दे देनी चाहिए।
"मैं अनुमति दू? मुझसे पूछ ही कोन रहा है?
"तुम नन्ही- सी पागल लड़की,क्या तुम्हे लगता है कि तुम्हारे पापा तुम्हारी इच्छा के बिना कुछ कर सकते है?
"हां,में पागल लड़की ही हूं।कितनी पागल हूं,यह सोच ही नहीं पाई थी।कि पापा की भी अपनी एक ज़िन्दगी है।
"अगले दिन पापा आ पहुंचे।वे मुझे बहुत देर तक गले से लगाए रहे।वे रोने लगे सच में बहुत रोने लगे।
"तुमने ऐसा क्यों किया? वे पूछने लगे।तुम्हे मालूम भी है में कितना परेशान हो गया था , मैं तुम्हे खोने के बारे में सोच भी नहीं सकता।
"मैं बहुत शर्मिंदा हूं,पापा। मैं दुनिया की सबसे जाहिल लड़की हूं। मैं आप को हरगिज दुख नहीं पहुंचाना चाहती थी।
उन्होंने फिर मुझे गले लगा लिया।फिर मैनें कहा पापा मैं आप से कुछ कहना चाहती हूं.......।
"पापा।क्या? कहो ना तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी .......।
"मैं चाहती हूं कि आप जितनी जल्दी हो सके,नीता आंटी से सादी कर लीजिए!"मैं जानती हूं कि मम्मी जहां कहीं भी होंगी,मेरे ऊपर गर्व कर रही होंगी ।मैंने अपना सबक ठीक से सीखा था। तो कैसी लगी यह कहानी आप सभी को emotional heart touching story for mother
यह कहानी से आप क्या समझ सके plzzz
Comment 🆒 me jarur likhiye ga ,story thodi see lambi hai , Lekin har achhi bate hume der se samjh aati hai.......💯💞📝
ं
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