आज भी कुछ घर ऐसे हैं, जहा सभी परिवार साथ -मिल जुल कर रहते है,join family कि तरह।ऐसे में लाजमी है,कि परिवार में एक न एक तो बुजुर्ग होते ही हैं।जिनके नियम और कानून पर पूरा परिवार चलता है।और घर में सभी को उनका पालन भी करना ही होता है!
"वह सुभा बहुत ही सुहानी थी, साफ नीला आकाश,ठंडी हवा।और हर जगह शांति.......
प्रेम की दादी ने बताया था कि एक समय ऐसा था,जब उनकी सड़क के हर मकान में बहुत बड़ा बगीचा होता था।जिसमें चिड़ियों के गाने चहचहाने और मंदिर कि घंटियों की आवाजें ही सुनाई दिया करती थीं।
तभी कुछ बड़े बड़े भवन निर्माता आए।और कहने लगे" बढ़िया जगह है।"फिर एक के बाद एक पुराने मकान गिरा दिए गए और उनकी जगह आलीशान इमारतें,बना दी गई।
फिर भी इनमें से एक ऐसा कोना जो कभी नहीं बदला।क्यो की दादी ने उसे बेचने से साफ इंकार कर दिया था।दादी के ऐसे फैसले से परिवार में सभी उंपर गुस्सा थे।
" फिर उनकी बहू ने बड़बड़ाते हुए कहा।"अज्जी (दादी)भी अजीब हैं "तरक्की की तो मानो जैसे वे दुश्मन हैं।एकदम तानाशाह हैं वे। जरा इस घर के नियम तो देखो। ........ बाहर का खाना माना।देर तक घर से बाहर रुकना माना।वे पुराने सोच की है। समय के साथ चलना चाहिए।" आज्जी (दादी)सब सुन रही थी। वे बहुत ही गुस्से में आ गई !जैसे तैसे दिन तो निकाल गया।
अगले ही दिन सुबह सुबह दादी कि किसी से लड़ाई हो गई और यह बात सभी को पता है दादी से कोई नहीं जीत सकता ,उनकी ज़बान बड़ी तेज थी
सपना, दादी की (पोती) थी।और वह १८ वर्ष की थी,जो दादी से हर बात पर लड़ जाती थी,लेकिन फिर भी दादी को सपना की यह खासियतों पर गर्व था।उनमें से एक सपना का बाल था जो कि दादी को बहुत ही पसंद था ,और अब सापना बाल कटवाना चाहती थी।
"नहीं," दादी बोली।कभी नहीं।
फिर सपना फट से बोल पड़ी ये मेरे बाल हैं। इनका क्या करना है,ये सब सोचना मेरा काम है आप मेरा अधिकार मुझसे नही छीन सकती।
"अधिकार उनके लिए होते है ,जिन्हें सही और गलत कि पहचान करना आता हैं, दादी ने गुस्से में कहा। अपने से बड़ों से बहस करना अच्छी बात नहीं है।"
इन सबेक बाद दादी अपने काम में तो लग गई ।फिर भी कहीं न कहीं उनका दिमाग अपने पोती में लगा हुआ था,मुझे ऐसे बच्ची के साथ कठोर नहीं होना चाहिए था,लेकिन मैं अगर इतनी कठोर न रहूं,तो हर कोई अपने मन का हो जाएगा।
इतना सब सोचते सोचते दादी अपने मनपसंद जगह पर गई और नारियल के पेड़ के नीचे बैठकर सोचने लगी। यहां की उजाड़ जहग को वे ऐसे देखने लगीं,जैसे पहली बार देख रही हों।दादी काफी देर तक इधर -उधर की बाते सोचती रहीं।फिर किसी अनजाने संयोग से ऊपर पेड़ में लगे गुच्छे से एक नारियल टूटा और उनसे टकराता हुआ सीधे उनके सिर पर आ के गिरा।वे हांफने लगीं और फिर से बैठ गई।फिर किसी तरह घर गई ,और सो........ गई।
एक घंटे बाद।उनके सामने तीन लोग खड़े थे।और दादी सबसे पूछने लगी? कौन हो तुम सब,इतना सुनते ही उनकी बहू," है भगवान! और पोता।पोती सबके सब हक्काबक्का हो गए?,और सबने एक एक करके अपना परिचय दिया फिर भी दादी को कुछ याद नहीं आ रहा था।फिर सबने , डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने कहा? इनकी याददाश्त चली गई है। क्या ? सबने एक ही सवाल किया ,ये कब तक ठीक हो सकते है? ज्यादा नहीं बस ४८घंटो में ठीक हो जाएंगी ये,यह सुन कर सबको अच्छा लगा।
उनकी याददाश्त जाने के बाद घर में सब लोग अपने हिसाब से काम करने लगे ।और सब बाहर का खाना खाने लगे।एक दिन चाईनीज,दूसरे दिन चिक्कन,और रविवार को घूमना।देर तक जागना फिर देर से उठना जिसकी वजह से सबके सिर में दर्द। होने लगा और इन ही बीच दादी भी इन सब का मजा लेती ,लेकिन यह सब करते करते सबका मन भर गया था। और दादी कि बहू बोलने लगी ।"बहुत हो गया,अब कोई बाहर का नहीं खाएगा।फिर वह सबके लिए,दही- चावल बनाने चली गई।
फिर ,एक नई सुबह घर वालो ने देखा कि दादी बगीचे में हैं। अब तक सब को दादी के सनकी व्यवहार की आदत हो चुकी थी।उन्होंने दादी से धीरे से पूछा।आप क्या कर रही है?
"सफाई, दादी ने जवाब दिया।फिर सबने एक दूसरे की ओर देखा और दादी की मदद करने लगे। और देखते देखते ही पुराना मकान ,एक आलीशान। महल बन गया।फिर एक दिन वही भवन निर्माता आए।उसी इरादे से कि दादी अपना यह घर हमारे नाम कर देंगे? लेकिन इस बार दादी के बच्चों ने ही उन्हें मना कर दिया।और परिवार में सभी नई वाली दादी को ज्यादा पसंद करने लगे।
"दादी के घर दूध वाला दूध देने आया।और वह दादी के याददाश्त जाने का फायदा उठाना चाहता था।लेकिन सब इस बात से अनजान थे कि दादी की याददाश्त तो जाने के कुछ समय बाद ही आ गई थी।और वह दूध वाला सोचा की दादी को उल्लू बना के पैसे ज्यादा ले लेता हूं।और फिर बोला दादी कुल ६००होते है, "क्या? उन्होंने पूछा जैसे उनको कुछ सुनाई ही नहीं दिया।फिर दादी ने उसे गुस्से से देखा,फिर क्या था।दूध वाले की स्ट्टी पिट्टी गायब हो गई ,और उसने पूछा क्या आप को सब याद है? दादी ने अपना सिर हिलाया ।हा........
दूध वाला.....माफ करदो दादी गलती हो गई।दुबारा नहीं होगा ऐसा........
दादी ने सोचा कि उनको ये सब कहते हुए किसी ने नहीं देखा ।लेकिन वह गलत थी।और उनके पीछे ही, प्रेम खड़ा था।और उसने पूछा? आप को सब याद है।तो अब तक आप नाटक कर रही थी ?बोलिए दादी।
हा......... सभी मेरी याददाश्त जाने के बाद काफी खुश दिख रहे थे ।तक मैंने सोचा कि में किसी को कुछ नहीं बताऊंगी, मुझे सब याद आ गया है।और में नाटक करने लगी,...... अगर तुम्हे ऐसा लगता है कि मैंने कुछ गलत किया है तो तुम सबको बता सकते हो।
नहीं ,नहीं ........दादी यह बात सिर्फ हम दोनों में ही रहेगी।पक्का........
Sikh-कभी कभी हमें खुद के खुशी से जायदा दूसरो की खुशी क्या ख्याल रखना चाहिए!
तो दोस्तो आज की कहानी यहां खतम होती है।
0 Comments:
Post a Comment