Thursday, 30 July 2020

(भाई बहन का प्यार) emotional short story in Hindi

भाई- बहन का प्यार(brother and sister love story in Hindi

भाई बहन (brother and sister) का प्यार और रिश्ता सभी रिश्तों से अलग माना जाता हैं।इस रिश्ते में न भाई अपना प्यार अपनी बहन को दिखाता है,और न बहन कभी अपना प्यार दिखाती है।लेकिन फिर भी जरूरत पड़ने पर दोनों एक दूसरे के लिए सबसे लड़ जाते है।

आज की। कहानी एक ऐसे लड़के पर है।जो था तो भाई  लेकिन एक पाप की तरह और एक मा कि तरह अपनी बहन को संभाल रहा था।

        "रीमा बहुत ही ज़िद्दी लड़की थी।उसे कोई भी चीज जब भी पसंद आती वह चीज उसको उसी वक़्त चाहिए होती थी।उसके माता -पिता उसकी सारी जिद्द और उसकी खुशी के लिए सब कुछ उसे लाके देते थे।

परिवार छोटा सा था।माता पिता रीमा और उसका भाई राजू। बस इतनी छोटी सी family थी लेकिन बहुत खुश रहते थे सभी,और राजू को तो अपनी बहन को परेशान करने में बहुत मजा आता था,रीमा एक गोलू -मोलू सी प्यारी सी गुड़िया जैसी थी।और उसका भाई  उसके गालों को खींच कर उसे हमेशा रूलाया करता था, फिर अपनी बहन को रोते देख खुद ही नाचता और मस्ती करके उसे हसाता भी खुद ही था।

माता पिता कुछ काम से बाहर  जा रहे थे।"राजू और रीमा कहा हो तुम दोनों हम जा रहे है।अपना ख्याल रखना दोनों।"और हा।राजू अपनी बहन को ज्यादा परेशान मत करना,जब तक हम नहीं आ  जाते तब तक रीमा को तुम संभालो। राजू - जी पापा आप फिक्र न करे मैं रीमा का ख्याल रखूंगा। "ठीक है फिर हम चलते है।

              भाई मा -पापा अब तक क्यो नहीं आए,कब आयेंगे वह वह लोग आप पूछो ना पापा को कॉल करके "हा रीमा काफी समय हो गया है उन्हें जा कर अब तक तो आ जाना चाहिए था।

    राजू कॉल करने जा ही रहा था,किं किसी ने दरवाजा खट खटाया
राजू ने दरवाजा खोला और पूछने लगा,"जी आप कोन किससे मिलना है?माता पिता अभी घर नहीं है।इतना सब सुनने के बाद उस व्यक्ति ने कहा क्या तुम है राजू हो? "हा बोलिए क्या काम है? तुम चलो मेरे साथ,"कहा और क्यो,बात क्या है?कुछ बोलते क्यो नहीं आप?" राजू तुम्हारे माता पिता एक कार ऐक्सिडेंट में मारे गए
 
   राजू को उनकी बातो पर यकीन नहीं हो रहा था।और वह बार बार बस बोल रहा था ऐसा नहीं हो सकता आप झूट बोल रहे हो।और वह बहुत जोर- जोर से रोने लगता है। लेकिन फिर भी इस बात का पता राजू ने अपनी बहन को नहीं लगने दिया।और वह उस  व्यक्ति के साथ चला गया।

हिम्मत नहीं थी,राजू में कि वह अपने माता पिता की मृत्यु की बात अपने  छोटी बहन से बताए।वह डर गया था कहीं यह सुन कर रीमा खुद को संभाल नहीं पाई और उसे कुछ हो गया तो, इसलिए। उसने चुप रहना ही बहतर समझा।और उसने रीमा से झूट कहा कि माता पिता कुछ महीनों के लिए काम से बाहर गए है।

फिर राजू रीमा की हर जिद्द पूरी करता ,रीमा को जो भी चाहिए वह सब लाके देता था , बिलकुल अपने पिता की तरह उसका ख्याल रख रहा था।रीमा को स्कूल के लिए तैयार करना, उसे खाना अपनी हतों से खिलता,ताकि रीमा को मा की कमी कभी महसूस ना हो।
  
समय गुजरता गया,और अब दोनों बड़े हो चुके थे। राजू को अभी भी एक बात का डर था ,रीमा अब बड़ी हो गई है, अब तो में उसे झूट भी नहीं बोल सकता .....कभी रीमा ने मा- पापा के बारे में पूछना शुरू कर दिया तो में क्या कहूंगा उससे।

  वह इतना सब सोच ही रहा था कि रीमा आई और। वहीं हुआ जिसका डर राजू को था।रीमा पूछने लगी ,भाई मा- पापा कब आयेंगे इंतजार करते करते तो मैं इतनी बड़ी हो गई कि अब मेरी शादी कि उम्र हो चुकी है,इतने सालो में आप ने एक बार भी मेरी बात उनसे नहीं कराई।कहीं आप कुछ चूपा तो नहीं रहे हो ना?

राजू थोड़ा घबरा गया और धीमी आवाज में रीमा से बोला "क्या मैंने कभी तुम्हे किसी चीज कि कमी महसूस होने दी है?"नहीं भाई आप कैसी बात कर रहे हो मुझे तो हमेशा से हर चीज ज्यादा ही मिला है।आप तो कभी मा- पापा की कमी का एहसास होने ही नहीं दिए।

       राजू ने रीमा को गले लगाया और हिम्मत करके बताने की कोशिश करी,रीमा आज में तुम्हे एक बहुत बड़ा सच बताने जा रहा है सायद यह सुन के तुम मुझे कभी माफ ना करो।"बहन जब हम छोटे थे उस समय ही हमारे माता पिता की मृत्यु हो गई थी।

रीमा सच जानने के बाद कुछ पल के लिए बिलकुल चुप हो गई और अपने मन में ही सोचने लगी,जब भाई मेरे लिए इतना सब कर सकते है,अपना दर्द चुपा कर मुझे इतना सारा प्यार दे रहे है फिर ऐसे में उन्हें अपनी तकलीफ का एहसास दिला कर भाई को मै और परेशान नहीं कर सकती।

रीमा मैंने इतनी बड़ी बात बताई तुम्हे तुम कुछ बोल नहीं रही हों।कहीं तुम मुझे गलत तो नहीं समझ रही?नहीं नहीं भाई ऐसा तो मैं कभी सोच भी नहीं सकती।भाई आप मेरे लिए इतना सब करे हों।फिर मै आप के खुशी के लिए अपना दर्द छुपा ही सकती हू!

अब राजू के मन में कोई डर नहीं था और वह अब बहुत अच्छा महसूस करने लगा।फिर कुछ दिनों बाद रीमा कि शादी हो गई और फिर से एक बार छोटा सा परिवार बन गया और सब खुशी खुशी रहने लगे।


हर घर का बड़ा भाई या बेटा पाप के बाद अपने परिवार का ख्याल रखता है।और सारी जिम्मेदारी बिलकुल पाप की तरह पूरी करता है।भाई बहन तो अनोखे ही होते है।

उम्मीद है कहानी पसंद आई होगी।और पसंद आई तो plzzz share karo ज्यादा से ज्यादा।thanx.........

Wednesday, 29 July 2020

सच्ची दोस्ती (sachhi Dosti) friendship story in hindi

सच्ची दोस्ती (true friendship story in Hindi)
"maza aata hai kisi ko satane me,
Ruthe na koi to maza kya manane me,

Ek dosto se hi to khushi hai,
Warna rakha kya hai is zindagi,
Or zamane me..........

          सच्ची दोस्ती एक ऐसा रिश्ता हैं।जिसमें हम एक साथ कई सारे रिश्ते फील कर सकते है,एक सच्ची और अच्छी दोस्त हमारी हर मुश्किल के समय में हमें "पापा की तरह गाइड करते है,तो दिल टूटने पर मा को तरह हमें संभालती है,और भाई की तरह परेशान करने वाले लोगों,से बचाते है,तो वहीं बहन कि तरह हर समय हमारे साथ होती है।और कभी कभी तो हमारी (टीचर बन जाती है)हमें करियर की तरफ फोकस करने में हमेशा मदद करती है।
          जब भी सच्ची दोस्ती की बात कोई करता है तो सभी लड़कों के दोस्ती की मिसाल देने लगते है।लेकिन आज इस कहानी में एक लकड़ी कि सच्ची दोस्ती का जिक्र किया गया है।जिसका नाम अंकिता था।


               "कुछ साल पहले की बात है,जब मैं स्कूल में थी। और मुझे पढ़ना बिलकुल भी नहीं पसंद था "वे तो आज भी नहीं है।" और मेरे घर वालो ने मेरा एडमिशन एक P.S classes में करा दिए,जिससे कि मैंअपने पढ़ाई में मन लगा सकु पर इसका कोई फायदा..........
नहीं था।पढ़ाई का तो पता नहीं पर मेरे दोस्त बहुत बन गए थे वह,लेकिन इन सब में एक मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन गई थी।मानो जैसे हम एक दूसरे को बचपन से जानते हो।उसका नाम अंकिता था,और क्लास के सर भी हमारे दोस्ती की तारीफ किया करते थे, पढ़ने में अंकिता हमेशा मेरी मदद करती थी। और में फिर भी अपना ज्यादा समय ऐसे ही खराब कर देती मस्ती करने में।

           जब भी बात आती कि क्लास में मस्ती कोन करता है सबसे पहले मेरा नाम आता,और वही अंकिता बहुत अच्छी थी पढ़ाई में जिसकी वजह से में हर बार मार खाने से बच जाती।ऐसे ही मस्ती मजाक में साल कब खतम हुआ कुछ पता ही नहीं चला,

और इस एक साल की दोस्ती में जानें -अनजाने हमारा झगड़ा हो गया और हम बात नहीं कर रहे थे।यह सब देख हमारे क्लास से सर (जिनका नाम मनीष था) वह भी सोच में थे कि आखिर ये दोनों बात क्यो नही कर रहीं हैं?फिर उन्होंने (अनिल सर)से बात की जिनसे पूरी क्लास डरतीथी,कुछ बच्चो को छोड़ के जिसमें हम भी आते थे। 

दोनों सर ने सभी से पूछा,किसी को कुछ पता है? हुआ क्या है इन दोनों में? सबने ना में जवाब दिया"फिर क्या था"सर खुद आए और पूछे क्या हुआ है कुछ बताओ? हम दोनों अपनी अपनी बुक में देख रहे थे ,मानो जैसे हमने कुछ सुना ही नहीं।                                                                       
      बात सिर्फ इतनी थी ,कि हम किसी तीसरी लड़की की वजह से बात नहीं कर रहे थे, फिर सर ने हम दोनों को समझाया।और कहा कि सच्ची दोस्ती में अक्सर कोई तीसरा हमेशा आता है।समझ तुम दोनों में होनी चाहिए की उसकी बात सुनना है या इग्नोर करना है।आगे से इस बात का ध्यान रखना,और अपनी दोस्ती में कभी दरार मत आने देना। फिर हमारी बात होने लगी और हम अब किसी के बातो में नहीं आते थे।  

ऐसे ही वक़्त गुजरता गया और हमारी दोस्ती अच्छी काफी अच्छी हो गई ,इतनी अच्छी कि अब हम दोनों एक दूसरे के परिवार में( एक family members) कि तरह रहने लगे,कहीं भी जाना होता तो ज्यादा तर साथ जाते ,हर काम साथ में करते ,इस corona के टाइम में भी हम एक ही साथ एक ही थाली में खाना खाते थे। 

अंकिता एक सोसल वर्कर थी,और वह हमेशा अपने और दूसरे के अधिकार के लिए लड़ना जानती थी हर वक़्त बच्चों के अधिकार और उसके पढ़ाई को लेके हमेशा कही न कहीं बिजी ही रहती थी।लेकिन फिर भी वह हमारी दोस्ती के लिए टाइम निकाल ही लिया करती!

और उसकि एक बहुत बुरी आदत है,आप लोग सोचिए क्या हो सकता है ? सिम्पल सा है yrrr वो pgl चाय बहुत पिती है,उसे चाय की इतनी तलप है कि जब भी वह थकी या परेशान या फिर उसको कुछ काम करने के लिए पॉवर कि जरुरत हो तो बस चाय पिला दो उसका सारा काम हो जता है, जैसे किसी दवा का असर हुए हो उसपर।

उसके साथ रहने में मुझे बहुत अच्छा फील होता था।और हम नुक्कड़ की चाय भी पिया करते थे,हम वही करते थे जिससे हमें खुशी मिले और लोगो का तो हम सोचते ही नहीं की वह क्या सोचते होंगे। उसके साथ रह कर बहुत कुछ नया सीखने मिलता है, सब कुछ अच्छा चल रहा था।

हम बड़े हो चुके है,इस बात का एहसास हमें घर वाले हमारी शादी की बात करके फील करा देते है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ, हूं तो एक लड़की ही कर भी क्या सकती थी ज्यादा कुछ नहीं बोल सकती थी घर वालो को।इसलिए मैने अंकिता से बात की और सारी बात बताई उसको,अंकिता ही एक ऐसी लकड़ी थी जो मुझे ,मुझसे भी ज्यादा समझती थी, और मेरे हम शुख दुःख में मेरे साथ रहती थी।एक अच्छी और सच्ची दोस्त की तरह।
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उसको यह सब सुन के बहुत गुस्सा आया ,और वह मुझे बोली चल हम बात करते है पापा से वह जरूर समझ पाएंगे हमें मैनें कहा नहीं यार,इतनी हिम्मत नहीं है मुझमें।"अरे तू चल ना में बात करती हूं बस तू साथ में रहना।किसी तरह मैंने हिम्मत की और हम गए पापा के पास।
                      और अंकिता ने सवाल    करना शुरू कर दिया?आखिर क्यो इतनी छोटी उम्र(१९) मे इसकी शादी करनी है,लड़की है तो क्या हुआ?इतनी जल्दी किस बात की है?एक ही लड़की है,कुछ करना चाहती है,आप लोगो के लिए,खुद के लिए,अभी तक तो यह खुद के पैरो पर भी नहीं खड़ी है।ऐसे में कैसे एक घर चला पाएगी ये ?और आप लोग इसकी शादी की बात कर रहे है। 

"इतना सब सुनने के बाद पापा कहने लगे क्या करेगी जॉब करके पैसे कमा के शादी तो एक दिन करना ही है और फिर जैसे वो लोग इसको रखेंगे वैसा ही इसको रहना होगा।तो अभी ही शादी करा देते है। शादी के बाद रानी बन के रहेगी!
ऐसी बाते सुन के हम दोनों ही कुछ समय के लिए इमोशनल ही गए।

फिर भी अंकिता ने हिम्मत नहीं तोड़ी और कहने लगी । आप लोग इसकी खुशी का सोच कर इसकी शादी करना चाहते हो लेकिन क्या वो खुश है?और आप किस भरोसे से केह रहे है कि यह शादी के बाद रानी बन के रहेगी।(परिवार में सभी एक जगह और हम दोनों एक जगह)

जैसे तैसे तो समझा दिए घर वालो को।और उसने मुझे साथ बैठकर खाना खिलाया फिर अपने घर चली गई।जाते जाते बोल कर गई (ख्याल रख अपना सब सही हो जाएगा ,तेरे ही पापा है तेरा अच्छा ही सोचते है।) 

ऐसा नहीं था कि मेरे घर वाले मेरा बुरा सोच रहे थे ,लेकिन मुझे अभी शादी नहीं करनी थी।इतना सब होने के बाद सायद पापा कही न कहीं अंकिता को गलत समझने लगे थे,हमेशा से ऐसा चलता आ रहा है जो लोग अपने हक़ और अपने अधिकार के लिए बोलना सीख जाते है तो सबके नजर में वो लोग गलत ही होते है।

और फिर आखिर वही हुआ जिस का मुझे डर था।पापा ने मुझे कहा  कि,अब अंकिता घर नहीं आनी चाहिए और में नहीं चाहता कि तुम उससे ज्यादा दोस्ती रखो।इतना सुनते ही मेरी आंखो से अपने आप असू आने लगे,मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझसे मेरी ज़िन्दगी से दूर होने को बोल दिया है।

मैंने किसी तरह पापा के सामने तो अंकिता को बोल दिया,कि अब हम बात नहीं कर सकते।ये सब मै सिर्फ अपने घर वालो के खुशी के लिए बोली थी लेकिन हम इतनी आसानी से हमारी दोस्ती थोड़ी ना तोड़ सकते है।भले ही हम घर में नहीं मिल सकते थे।घर से बाहर तो हमारी दोस्ती हमेशा रहेगी।


        सच्ची दोस्ती जहा होती है, वहा अपने आप एक परिवार बन जाता है।हमारी दोस्ती आज भी है।और हम दोनों मिलकर अपने अपने लाइफ के लिए मेहनत कर रहे है।
      संयोग से बनी मेरी दोस्त आज भी मेरे साथ है जो मेरी हर प्रॉब्लम में मेरे साथ होती है। 


उम्मीद है आप लोगो को यह सच्ची दोस्ती की कहानी समझ आई होगी और लड़कियों की दोस्ती भी किसी से कम नहीं होती ।

       

 

               

Monday, 27 July 2020

याददाश्त (memories) best Heart Touching story in Hindi

परिचय !
        आज भी कुछ घर ऐसे हैं, जहा सभी परिवार साथ -मिल जुल कर रहते है,join family कि तरह।ऐसे में लाजमी है,कि परिवार में एक न एक तो बुजुर्ग होते ही हैं।जिनके नियम और कानून पर पूरा परिवार चलता है।और घर में सभी को उनका पालन भी करना ही होता है!
        किरदार- दादी(जिनकी याददाश्त चली जाती है,) प्रेम(उनका पोता) सपना(उनकी पोती)और सभी परिवार थे।
  
      "वह सुभा बहुत ही सुहानी थी, साफ नीला आकाश,ठंडी हवा।और हर जगह शांति.......
 प्रेम की दादी ने बताया था कि एक समय ऐसा था,जब उनकी सड़क के हर मकान में बहुत बड़ा बगीचा होता था।जिसमें चिड़ियों के गाने चहचहाने और मंदिर कि घंटियों की आवाजें ही सुनाई दिया करती थीं।

तभी कुछ बड़े बड़े भवन निर्माता आए।और कहने लगे" बढ़िया जगह है।"फिर एक के बाद एक पुराने मकान गिरा दिए गए और उनकी जगह आलीशान इमारतें,बना दी गई।
       फिर भी इनमें से एक ऐसा कोना जो कभी नहीं बदला।क्यो की दादी ने उसे बेचने से साफ इंकार कर दिया था।दादी के ऐसे फैसले से परिवार में सभी उंपर गुस्सा थे। 
  " फिर उनकी बहू ने बड़बड़ाते हुए कहा।"अज्जी (दादी)भी अजीब हैं "तरक्की की तो मानो जैसे  वे  दुश्मन हैं।एकदम तानाशाह हैं वे। जरा इस घर के नियम तो देखो। ........ बाहर का खाना माना।देर तक घर से बाहर रुकना माना।वे पुराने सोच की है। समय के साथ चलना चाहिए।" आज्जी (दादी)सब सुन रही थी। वे बहुत ही गुस्से में आ गई !जैसे तैसे दिन तो निकाल गया।

अगले ही दिन सुबह सुबह दादी कि किसी से लड़ाई हो गई और यह बात सभी को पता है दादी से कोई नहीं जीत सकता ,उनकी ज़बान बड़ी तेज थी 
                  सपना, दादी की (पोती) थी।और वह १८ वर्ष की थी,जो दादी से हर बात पर लड़ जाती थी,लेकिन फिर भी दादी को सपना की यह खासियतों पर गर्व था।उनमें से एक सपना का बाल था जो कि दादी को बहुत ही पसंद था ,और अब सापना बाल कटवाना चाहती थी।
"नहीं," दादी बोली।कभी नहीं।

    फिर सपना फट से बोल पड़ी ये मेरे बाल हैं। इनका क्या करना है,ये सब सोचना मेरा काम है आप मेरा अधिकार मुझसे नही छीन सकती। 
"अधिकार उनके लिए होते है ,जिन्हें सही और गलत कि पहचान करना आता हैं,  दादी ने गुस्से में कहा। अपने से बड़ों से बहस करना अच्छी बात नहीं है।"
इन सबेक बाद दादी अपने काम में तो लग गई ।फिर भी कहीं न कहीं उनका दिमाग अपने पोती में लगा हुआ था,मुझे ऐसे बच्ची के साथ कठोर नहीं होना चाहिए था,लेकिन मैं अगर इतनी कठोर न रहूं,तो हर कोई अपने मन का हो जाएगा।

इतना सब सोचते सोचते दादी अपने मनपसंद जगह पर गई और नारियल के पेड़ के नीचे बैठकर सोचने लगी। यहां की उजाड़ जहग को वे ऐसे देखने लगीं,जैसे पहली बार देख रही हों।दादी काफी देर तक इधर -उधर की बाते सोचती रहीं।फिर किसी अनजाने संयोग से ऊपर पेड़ में लगे गुच्छे से एक नारियल टूटा और उनसे टकराता हुआ सीधे उनके सिर पर आ के गिरा।वे हांफने लगीं और फिर से बैठ गई।फिर किसी तरह घर गई ,और सो........ गई।

एक घंटे बाद।उनके सामने तीन लोग खड़े थे।और दादी सबसे पूछने लगी? कौन हो तुम सब,इतना सुनते ही उनकी बहू," है भगवान! और पोता।पोती सबके सब हक्काबक्का हो गए?,और सबने एक एक करके अपना परिचय दिया फिर भी दादी को कुछ याद नहीं आ रहा था।फिर सबने , डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने कहा? इनकी याददाश्त चली गई है। क्या ? सबने एक ही सवाल किया ,ये कब तक ठीक हो सकते है? ज्यादा नहीं बस ४८घंटो में ठीक हो जाएंगी ये,यह सुन कर सबको अच्छा लगा।


उनकी याददाश्त जाने के बाद घर में सब लोग अपने हिसाब से काम करने लगे ।और सब बाहर का खाना खाने लगे।एक दिन चाईनीज,दूसरे दिन चिक्कन,और रविवार को घूमना।देर तक जागना फिर देर से उठना जिसकी वजह से सबके सिर में दर्द। होने लगा और इन ही बीच दादी भी इन सब का मजा लेती ,लेकिन यह सब करते करते सबका मन भर गया था। और दादी कि बहू बोलने लगी ।"बहुत हो गया,अब कोई बाहर का नहीं खाएगा।फिर वह सबके लिए,दही- चावल बनाने चली गई।  

फिर ,एक नई सुबह घर वालो ने देखा कि दादी बगीचे में हैं। अब तक सब को दादी  के सनकी व्यवहार की आदत हो चुकी थी।उन्होंने दादी से धीरे से पूछा।आप क्या कर रही है?

"सफाई, दादी ने जवाब दिया।फिर सबने एक दूसरे की ओर देखा और दादी की मदद करने लगे। और देखते देखते ही पुराना मकान ,एक आलीशान। महल बन गया।फिर एक दिन वही भवन निर्माता आए।उसी इरादे से कि दादी अपना यह घर हमारे नाम कर देंगे? लेकिन इस बार दादी के बच्चों ने ही उन्हें मना कर दिया।और परिवार में सभी नई वाली दादी को ज्यादा पसंद करने लगे।

    
                   "दादी के घर दूध वाला दूध देने आया।और वह दादी के याददाश्त जाने का फायदा उठाना चाहता था।लेकिन सब  इस बात से अनजान थे कि दादी की याददाश्त तो जाने के कुछ समय बाद ही आ गई थी।और वह दूध वाला सोचा की दादी को उल्लू बना के पैसे ज्यादा ले लेता हूं।और फिर बोला दादी कुल ६००होते है, "क्या? उन्होंने पूछा जैसे उनको कुछ सुनाई ही नहीं दिया।फिर दादी ने उसे गुस्से से देखा,फिर क्या था।दूध वाले की स्ट्टी पिट्टी गायब हो गई ,और उसने पूछा क्या आप को सब याद है? दादी ने अपना सिर हिलाया ।हा........ 
दूध वाला.....माफ करदो दादी गलती हो गई।दुबारा नहीं होगा ऐसा........

दादी ने सोचा कि उनको ये सब कहते हुए किसी ने नहीं देखा ।लेकिन वह गलत थी।और उनके पीछे ही, प्रेम खड़ा था।और उसने पूछा? आप को सब याद है।तो अब तक आप नाटक कर रही थी ?बोलिए दादी।
हा......... सभी मेरी याददाश्त जाने के बाद काफी खुश दिख रहे थे ।तक मैंने सोचा कि में किसी को कुछ नहीं बताऊंगी, मुझे सब याद आ गया है।और में नाटक करने लगी,...... अगर तुम्हे ऐसा लगता है कि मैंने कुछ गलत किया है तो तुम सबको बता सकते हो।
नहीं ,नहीं ........दादी यह बात सिर्फ हम दोनों में ही रहेगी।पक्का........ 
  

Sikh-कभी कभी हमें खुद के खुशी से जायदा दूसरो की खुशी क्या ख्याल रखना चाहिए!   
         तो दोस्तो आज की कहानी यहां खतम होती है।
  

Sunday, 26 July 2020

Emotional heart touching story for mother

मां 
"कितना भी लिखूं उसके लिए तो कम हैं........
सच ये है कि मां तू है।
तो हम हैं.......

         Emotional heart touching story for mother 

"मां,एक ऐसा शब्द है जो हर बच्चा सबसे पहले बोलना सीख जाता है"
कहते है ना, मां की कदमों में जन्नत होती है!
       "आज की कहानी एक  ऐसी लकड़ी पर है। जो अपनी मां की यादें अपने दिल में रखे।खुद से ही उल्छी हुई थी,जिसकी मां को गुजरे एक साल ही हुआ था।और उसके पिता दूसरी शादी का फैसला कर  रहे थे। 
 memories
       ऐसे में क्या बीतेगी लक्ष्मी पर ,क्या वो ये सब शेह पाएगी?
कहानी यहां से शुरू होती है???...............

        मेरे दरवाजा खोलते ही पापा बोले।"ये नीता आंटी है"?नीता आंटी कुछ घबराई हुई थी।फिर भी वह मुस्कराने की कोशिश कर रही थीं।मेरे मन में बहुत से सवाल आने लगे।

  यह हैं कोन? कोई ऐसी रिश्तेदार, जिनसे मैं पहले कभी नहीं मिली या मम्मी की कोई सेहली,जो पहले कभी घर न आई हो?इतने में ही पापा ने कहा.......

 "यह मेरे ऑफिस में मेरे साथ ही काम करती है।
ऑफिस! तब ये घर में क्या कर  रही हैं? वह भी रविवार को।आज तो पापा ने मुझे पिकनिक पर ले जाने का वादा किये थे।फिर कहीं अब वह घर में ही काम करने का इरादा तो नहीं बना रहे?यह सब में खुद में ही सोच रही थी।

  इतने में ही पापा ने कहा।"नीता आंटी को बैठने और पानी के लिए नहीं पूछोगी?" अब नाराज होने की बारी मेरी थी। मेरा मन चिल्लाकर कहना चाह रहा था कि यह ग़लत बात है।पापा नें वादा तोड़ा है।मैंने किसी तरह खुद को संभाला और रसोई की ओर बढ़ गई।

   पापा मेरे पीछे -पीछे रसोई में आ गए। "और कहने लगे अगर तुम पिकनिक के लिए चिंतित हो तो हम अभी भी जा सकते है।नीता आंटी भी साथ चल रही है। मैं चाहता हूं कि तुम उनसे अच्छा व्यवहार करो वरना वह सोचेंगी कि तुम्हारी मम्मी ने तुम्हे कुछ भी नहीं सिखाया.....। 

       मेरी आंखो में आंसू आ गए।मम्मी को गुजरे एक ही साल होने को आया था ....।इतना समय बीत जाने के बाद मुझे लगा था में सब झेल सकती हूं।लेकिन उस समय उनका जिक्र करते ही मुझे रोना आनें लगा था। मैंने हेहसुस किया कि ऐसी बात पापा की निर्दयता (emotionless) ही हैं।कहीं न कहीं उन्हें भी इस बात का अहसास हुआ। शायद वे बगैर सोचे - समझे बोल गए थे क्योंकि उनकी आंखो में भी आसु थे।

  उन्होंने मुझे गले लगा लिया और रोते हुए कहने लगे,"मैं शर्मिंदा हूं, मैं तुम्हे दुख नहीं पहुंचाना चाहता था....अब मैं ऐसा कभी नहीं कहूंगा।" अब मुझे और बुरा लगने लगा में सिर्फ खुद के बारे में सोच रही थीं उनके बारे में नहीं।रोते रोते ही।फिर मैंने सोचा नीता आंटी को पिकनिक पर ले जाने के पीछे जरूर कोई कारण होगा। मैं कोई छोटी बच्ची नहीं थी,में १२साल की हो चुकी थी।

      फिर,मैनें नीता आंटी से उसी तरीके से उनसे बात शुरू की,जिस तरीके से मम्मी अपने से पहली बार मिलने वाले लोगो से  किया करती थे,"आप हमारे साथ पिकनिक पर चल रही हैं,ये जानकर मुझे अच्छा लगा।"उनके चेहरे पर एकदम से चमक आ गई।उन्होंने कहा "मुझे भी" फिर अपने साथ लाए हुए गिफ्ट्स मुझे दिए। और सारी मेरी पसंद की किताबें थी।फिर मेरे मन में सवाल आया उन्हें कैसे पता ये सब?......जरूर पापा ने बताया होगा।

"फिर पापा ने दादी को आवाज लगाई।मां नीता आई है।"
दादी भी इन्हें जानती है! हो क्या रहा है ?
पापा शायद मुझे बताना भूल गए होंगे।में तो सो रही थी,फिर वह मुझे कैसे बता पाते? 

मैंने पिकनिक में मजा लेने कि कोशिश की। मम्मी की खातिर यह करना पड़ा ताकि पापा वह सारी बाते फिर कभी ना कह सके और नीता आंटी यह ना सोचे की मम्मी ने मुझे कुछ नहीं सिखाया। "यह सब करना मुश्किल था - बहुत ही मुश्किल था।नीता आंटी मुझे बिलकुल भी नहीं पसंद थी। मैं सचमुच चीखना चाह रही थी और दोनों से भिड़ जाना चाहती थी।लेकिन मां की यादें और उनके सिखाई सारी बातेे मुझे संभाल रही थी।

           मैंने एक दिन पापा और दादी को बात करते सुना।मुझे सुनाई पड़ा,......"लगता है लक्ष्मी को नीता अच्छी लगने लगी है।वह उसकी अच्छी मां बनेगी? यह सब सुनने के बाद मैं अपने कमरे में गई।मेरे कान सनसना रहें थे। मैं भी मर जाना चाहती थी,पापा से नफरत है मुझे और सबसे ज्यादा नीता आंटी से है।फिर मैं बहुत रोनें लगी।

फिर एकदम से मेरे दिमाग में आया,मैं नानी के घर जा सकती हूं।वह मेरी बात समझ सकती है।फिर में घर के पीछे वाले दरवाजे से निकल गई।मुझे जाते हुए किसी ने नहीं देखा था।
      "नानी!" उनके दरवाजा खोलते ही मैंने सब कुछ बता दिया उन्हें और मैं फुट फूटकर रोने लगी।उन्होंने कुछ नहीं कहा?जबकि मैंने उन्हें बताया था कि वे लोग मम्मी की जगह किसी ओर को ला रहे है।फिर मेरे मन में बहुत से सवाल आने लगे ।मैंने ये सब क्या कर दिया, इसके बारे में पापा के लिए मुझे एक पत्र छोड़ देना चाहिए था।वे हद से ज्यादा परेशान हो रहे होंगे कि में कहा चली गई।

    नहीं ,वे तो नीता आंटी से शादी करना चाहते है,मेरे यहां आने से उनको कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। तभी मैंने नानी से कहा क्या हमें पापा को कॉल करना चाहिए? नानी ने कहा मैंने पहले ही कर दिया है।

और तुम उसके लिए दुनिया में सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट हो। खासकर तुम्हारी मां के जाने के बाद । 
       मै नीता आंटी से नफरत करती हूं।दरहसल  वह बुरी नहीं है,लेकिन मेरे मन में जो मम्मी की जगह थी वह न कोई ले पाया हैं, न ले पाएगा।

"तब नानी बोली,तुमने अपने पापा के बारे में सोचा उनकी बहुत लम्बी उम्र पड़ी है।तुम बड़ी हो जाओगी और अपनी शादी के बाद चली जाओगी,फिर कोन उन्हें संभालेगी?
  मुझे खुद पर शर्म आने लगी थी। मैंने इस बारे में तो सोचा ही नहीं था। फिर भी मेरे मन में एक ही बात आरी थी।.........
"मम्मी की जगह कोई नहीं ले सकता।

"बिलकुल।उन्हें ऐसी कोशिश भी नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपनी अलग जगह बनानी चाहिए और तुम्हे इसकी अनुमति दे देनी चाहिए।

"मैं अनुमति दू? मुझसे पूछ ही कोन रहा है?
"तुम नन्ही- सी पागल लड़की,क्या तुम्हे लगता है कि तुम्हारे पापा तुम्हारी इच्छा के बिना कुछ कर सकते है?
"हां,में पागल लड़की ही हूं।कितनी पागल हूं,यह सोच ही नहीं पाई थी।कि पापा की भी अपनी एक ज़िन्दगी है।

"अगले दिन पापा आ पहुंचे।वे मुझे बहुत देर तक गले से लगाए रहे।वे रोने लगे सच में बहुत रोने लगे।
"तुमने ऐसा क्यों किया? वे पूछने लगे।तुम्हे मालूम भी है में कितना परेशान हो गया था , मैं तुम्हे खोने के बारे में सोच भी नहीं सकता।

  "मैं बहुत शर्मिंदा हूं,पापा। मैं दुनिया की सबसे जाहिल लड़की हूं। मैं आप को हरगिज दुख नहीं पहुंचाना चाहती थी।
उन्होंने फिर मुझे गले लगा लिया।फिर मैनें कहा पापा मैं आप से कुछ कहना चाहती हूं.......।

"पापा।क्या? कहो ना तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी .......।
"मैं चाहती हूं कि आप जितनी जल्दी हो सके,नीता आंटी से सादी कर लीजिए!"मैं जानती हूं कि मम्मी जहां कहीं भी होंगी,मेरे ऊपर गर्व कर रही होंगी ।मैंने अपना सबक ठीक से सीखा था। तो कैसी लगी यह कहानी आप सभी को emotional heart touching story for mother

           यह कहानी से आप क्या समझ सके plzzz 
          Comment 🆒 me jarur likhiye ga ,story thodi see lambi hai , Lekin har achhi bate hume der se samjh aati hai.......💯💞📝

 ं    

Friday, 24 July 2020

अजीब लड़की short story in Hindi


ajeeb ladki

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परिचय

आज हम बात करेंगे ,"एक ऐसी लड़की पर जो बिलकुल शांत स्वभाव की थी,और उसका साधारण सा रूप था!जिससे कुछ लोग उसको अजीब लड़की कहते थे! ,"उसे कभी लड़ना आया ही नहीं,"वो तो बस  अपने अच्छे स्वभाव से लोगो का दिल जीत लिया करती थी!🤗♥️

कहानी का एक छोटा सा हिस्सा

 हर स्टोरी या मूवी में एक हीरो और विलन होते है!
 जिस पर पूरी स्टोरी बनती है! वैसे ही इस कहानी में भी है,
इस स्टोरी में "मेंन रोल" अंकिता का हैं(अजीब लड़की) जिस 
पर पूरी कहानी निर्भर है!
•और इसमें विलन का रोल कुछ लड़कियों का है,रीया, नेहा,अस्मा और सोनम  विलन थे!
                          बस बस ,सरी कहानी ट्रैलर में ही सुना दूंगी, तो आप लोग आगे की कहानी कब पड़ोगे,? 😊आप लोगो ने देखा ही होगा,कुछ स्टोरी की शुरुआत उसके विलन से होती है",कुछ ऐसा ही इस स्टोरी में भी है!
*तो अब शुरू करे  कहानी,..........
              रात में रीया जैसे ही खाने के लिए बैठी की मां ने पूछ लिया।"स्कूल का पहला दिन कैसा रहा?"
"अच्छा रहा,"रीया थोड़ा मूंह बना कर बोली!कोई पढ़ाई नहीं।बस,बैठे रहे।"
उसके पिता ने पूछा। "कोई  नई लड़की आई तुम्हारी क्लस में?
"रीया फट से बोली ,जी हा सिर्फ एक -अंकिता- वह बहुत मजेदार और अजीब है। 🥗 सलाद की ओर हाथ बढ़ाते हुए ओर मूंह बनाकर बोली🙁
पिता ने पूछा। "ऐसा क्यों कह रही हो?" 
"रीया, ने नाक सिकोड़ कर कहा।वह दूसरे स्कूल से हमारे स्कूल में आई है,और उसकी इंग्लिश भी अच्छी नहीं है! और वह बिलकुल भी स्मार्ट नहीं दिखती।बालों में इतना तेल की पूछो न,"रीया ने उसकी नकल उतारते हुए कहा ' गुड्‌ड मारनिग टी चर्र,........

"रीया के पिता ने कहा ।मुझे उम्मीद है ,तुम और तुम्हारी दोस्त मिल कर उसे ज्यादा परेशान नहीं करोगे ।
         रीया और उसके ग्रुप ने तो उसे परेशान करने का पूरा इरादा पहले से ही बना चुकी थी ।
अगली सुबह ,जैसे ही अंकिता कक्षा में आई ,वे सभी एक स्वर  में बोली ___"गुडड ‌मारनिग!"🤪
    बेचारी अंकिता!वह समझ ही नहीं पाई कि उसका मज़क
 बनाया जा रहा है।
अस्मा हस्ते हुए बोली ।की तुम अपने बालों में इतना तेल क्यो लगती हो?"
  अंकिता ने कोई जवाब नहीं। दिया ।"इतने में ही नेहा,
 ने कहा,की तुम इतने लम्बे.... स्कर्ट....क्यो पहनती हो।..
"अंकिता  का चेहरा लाल हो गया।वह कुछ कहना चाहती थी कि तभी अचानक से टीचर आ गई।
          जैसे ही लेक्चर स्टार्ट हुए। तो अंकिता हर सवाल पर अपना हाथ उठा देती ,और बिलकुल सही जवाब दे रही थी ।सबके - सब दंग रेह गए?😱और रीया उसे बुद्ध समझ रही थी," यह सब देख रीया बहुत हैरान हो गई थी!"
*स्कूल छूटने में बाद
                 जब रीया घर जाके ,अपनी मा से इसका जिक्र किया, तो  मा ने कहा,"वह बहुत होशियार लड़की लगती है।"
रीया ने गुस्से से कहा।,क्या फ़ायदा?उसकी इंग्लिश तो बहुत भद्दी है।"
रीया के माता पिता को रीया का ऐसा बर्ताव देख उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था।और रीया के पिता उदास हो गए☹️।     
              *  ऐसे ही कुछ दिन बीत जाने के बाद 
स्कूल में शनिवार को गायन प्रतियोगिता थी। और इसमें अंकिता का नाम देेख सभी उसका मजाक बनाने लगे। ये क्या गाती भी है ?क्या गायेगी। 
अं नीकिता ने गाना शुरू किया मीठी सी आवाज सुन कर  सभी दंग रह गए,और सभी तालियां बजाने लगे।और अंकिता प्रतियोगिता जीत गई!"
       "लेकिन रीया और उसके ग्रुप में किसी को खुशी नहीं हुई?एक समय ऐसा आया कि अंकिता सभी की प्रिय स्टूडेंट बंन चुकी थी।और हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेने। लगी,और जीत भी हासिल करती।"
*नफ़रत
रीया और उसके दोस्त अंकिता से चिड़ने लगे और नफरत करने लगे,वो लोग अंकिता तो हर वक़्त परेशान करते । खाश कर ,इंग्लिश के लेक्चर में"!क्यों की अंकिता इंग्लिश में कमजोर थी! और इन सब से अंकिता रोने लगती,
          एक दिन अंकिता ने रीया को जवाब दिया ।हा मुझे पता है "मेरी इंग्लिश कमजोर है,तुम्हारी हिंदी भी तो  कमजोर है।क्या? तुम मेरी हेल्प करोगी इंग्लिश में ".plzzz.
  रीया ने मूह बना कर कहा। No dear ,

*‌एक दिन  

रीया अचानक एक दिन बहुत बीमार हो गई जिसके कारण वह कुछ दिनों से स्कूल  नहीं जा सकती थी।और कुछ ही दिनों बाद उसके एग्जाम थे!रीया को बहुत ही फिक्र हो रही थी अपनी पढ़ाई को लेके,दो दिन बीत जाने के बाद रीया की मा बोली ।कैसे दोस्त है तुम्हारी कोई  तुम्हे देखने नही आए?जाने दो अपने स्टडी में बिजी होंगे",
रीया ने कहा -एक फोन तो कर सकते थे
* गलती का एहसास
  सारी बाते हो ही रही थी कि इतने में दरवाजे पर कोई आया और रीया की मा ने दरवाजा खोला,तो देखी की कोई मासूम सी लड़की अपने मा के साथ थी ,
"अंकिता ने कहा। (हेलो) कैसे है अब रीया?
रीया ये सब सुन कर और अंकिता को अपने घर आई देख कर,खुद के की गई गलतियो को याद  कर के खुद में ही शर्मिंदा हो रही थी!
   फिर रीया ने अंकिता से माफी मांगी और उसे गले लगा कर रोने लगी 😭अंकिता,ने कहा भूल जाओ वो सब में तो कबका भूल गई सब🤗
जितना भी तुम्हारी पढ़ाई छूट गई है वो सब में तुम्हे करा दूंगी ।और तुम मेरी इंग्लिश में हेल्प कर देना। करोगी। ना? रीया ने हस्ते हुए कहा।हा हा जरूर करूंगी
"अब दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे! और दिनों की मा खुशी के आशु को आंखो में आने से रोक नहीं पाई!"
समझ
इन सब के बाद रीया को इतना समझ आ गया था।कि अच्छे अच्छे 
कपडे और अच्छी सूरत पर घमंड करके कुछ नहीं मिलता इसलिए अब वह खुद में अच्छी आदते ला रही थी!"
                उम्मीद है ।आप सब को ये कहानी पसंद आई होगी और आप सब समझ पाए होंगे? इस कहानी को।
       स्टोरी समझ आई तो plzzz comment kare or apna opinion banaye or share kare thank you 💞💌