मिट्टी(soil) story in Hindi
जय को खुदाई करना बहुत पसंद है।वह सुबह और शाम ,दोनों समय मिट्टी में खेलता है"।कभी -कभी तो रात में भी शुरू हो जाता था। बचपन में हम सब ऐसे ही होते थे"जय कि मा उसे कभी भी दुपहर में घर से बाहर नहीं जाने देती थी, क्योंकि जय अभी छोटा था।और धूप बहुत ज्यादा होती है दुपहर के समय,मा को डर था कभी जय बीमार हो गया तो। मा आखिर मा होती है यार..........
पुरानी पेंसिल या कुछ भी नुकीला जय के हाथो में आ जाता तो वह खुदाई करना शुरू कर देता है।उसे मिट्टी की गंध बहुत अच्छी लगती है, खासकर गीली और भुरभुरी मिट्टी की।वह जब भी खुदाई करता तक अपने मन में हमेशा सोचता की जरूर इस मिट्टी के नीचे एक अलग और पुरानी दुनिया रहती होगी
story in Hindi मिट्टी
मिट्टी में जादू है तभी तो वह बीज को पौधे में बदल देती है। अक्सर जय ऐसा ही सोचता था,और कई सारे बीज लगा कर उसे बड़े होने तक रोज देखा करता।जय के लिए तो भूमिगत विश्व (धरनी के नीचे की दुनिया) इस दुनिया से अलग और रहस्यमय स्थान है। इसलिए वह हमेशा खुदाई करते रहता है।(बचपन में हम सभी ऐसे ही पागल पन किया करते थे)
एक दिन जब जय खुदाई कर रहा था तो उसकी पेंसिल ही बाहर नहीं निकल पा रही थी।उसने अपनी उंगली से मिट्टी खोदने शुरू कर दिया।एकदम से उसे कुछ बाल दिखाई दिए।जय ने उन्हें खींचा तभी उसे एक चीख(जोर दार आवाज)सुनाई पड़ी,"ऐसा मत करो दर्द होता है!"
उत्साहित होकर जय ने मिट्टी के नीचे देखा ।उस गड्ढे में एक छोटा सा बालक था।जो उसके हाथ के बराबर था,यह देखकर जय और भी आशचर्य हुआ कि यह छोटा बच्चा ठीक मेरे जैसा ही दिखाई दे रहा है?वही घुंगराले बाल, आंखे और चमकते दांत।
"तुम कोन हो?तुम मेरी तरह क्यो हो? यहां मिट्टी के नीचे क्या कर रहे हो?जय ने उस छोटे जय से पूछा।
"मैं तुम्हे अपनी कहानी सुनाता हूं,"छोटा जय बोला।"याद है,तुमने बगीचे में अपनी साइकिल की चाबी खो दी थी?
"हां ,हां,मुझे याद है।मैनें बहुत ढूंढा था पर वह नहीं मिल पाई थी!बताओ क्या तुम्हारे पास मेरी चाबी है?
"नहीं छोटे जय ने बोला।"मेरे पास तुम्हारी चाबी नहीं है, मैं ही तुम्हारी चाबी हूं!"
" तुम? मेरी चाबी!मुझे बेवकूफ बना रहे हो।तुम एक लड़के हो,बाल , आंखे,कान वाले।मेरी चाबी तो चांदी कि थी।
"अरे! Haaaaaaaa मै भूल गया था।तुम तो मिट्टी के नीचे की दुनिया के मेरे में कुछ नहीं जानते छोटे जय ने जवाब दिया।
तुम क्या बात कर रहे हो?जय ने छोटे जय कि कहानी में और ज्यादा दिलचस्पी लेते हुए पूछा।
"पुरानी बस्ती वह जगह है जहां सभी लापता चीजे रहती है वे गुमी हुई चीजों के रूप में नहीं बल्कि उन्हें गुमाने वाले व्यक्तियों के रूप। में रहती है।इसलिए तुम्हारी चाबी तुम जैसी बन गई,जो मैं हूं।मेरा नाम छोटा जय है। तुम्हारी मां की कान कि बाली भी वहां है।वह बहुत सुंदर लड़की है,उसका नाम प्रिया बाली है।और तुम्हारे दोस्त का खिलौना इंजन भी हमारे साथ है।वह बलराम गाड़ी कहलाता है।
( सोचने में कितना अजीब लग रहा है ये सब ना..........लेकिन बचपन ऐसा हुआ करता था।)
यह सब सुनने में जय ने ध्यान ही नहीं दिया की, छोटा जय गड्ढे से बाहर आ रहा है और अपनी मिट्टी साफ कर रहा है।
"तुम कहा जा रहे हो? जय ने छोटे जय से पूछा।
"मै कहीं जा नहीं रहा हूं! मै तुम्हारे साथ आ रहा हूं,"छोटा जय बोला।
" मेरे साथ आ रहे हो तुम?जय उत्साहित हो गया।तुम मेरे साथ जाओगे तो तुम्हारे। दोस्त तुम्हें याद नहीं करेगें?
"छोटे जय ने बताया।"हम लोग एक नियम बनाए हैं, हम लोग अगर अपने मालिक को पा लेते हैं तो उसके साथ एक दिन बीतते हैं।मुझे सूर्य छिपने पर ही जाना होगा।
एक साथ हम दोनों को कितना मजा आएगा!तुम्हे मालूम हैं, मै तुम्हे कितना याद करता हूं?तुम्हारी जेब में रहकर मैं कई जगह गुमा करता था।मुझे सबसे अच्छा तब लगता था जब तुम चाबी की जंजीर को उंगली में फसा लेते थे और मैं खुली हवा में घूमता था!"
(चाबी)छोटे जय कि बाते सुनने के लिए जय झुका हुआ था।छोटा जय फट से जय के कपडे पर चड़ गया और कंधे पर बैठ गया। तब वह बोला,"तुम मुझे अपनी साइकिल दिखाओ। मैं इस पर सवारी करना चाहता हूं!"
जय उसे अपने साथ साइकिल पर बगीचे का चक्कर लगाने गया।
तभी जय के मन में एक बात आई,"मैं इस छोटे जय के साथ अपने सभी दोस्तो को बेवकूफ बना कर मजे (मस्ती)कर सकता हूं।
जय ने अपने सभी दोस्तो को बुलाया और सभी को कहने लगा।चलो आज में तुम लोगो को कुछ जादू दिखात हूं,"जादू और वो भी तुम ?वे कैसे जय।सभी से साथ में पूछा?"अरे।तुम सब आओ तो,बस तुम सब उस पर्दे के बाहर ही रहना और सब जादू देखना।
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जब में कुछ हानिकारक (बेकार सा) खाना खाऊंगा तो मैं छोटा हो जाऊंगा और जब कुछ पोस्टिक (अच्छा) खाना खाऊंगा तो फिर से बड़ा हो जाऊंगा।
पर्दे के पीछे से उसने कहा,"अब मै चॉकलेट खाने जा रहा हूं।और फिर कुछ समय बाद छोटे जय को उनके सामने भेज देता है,सब देख कर हैरान हो जाते है?.........याल्ला ये कैसे हुआ?तुम तो सच में जादूगर हो जय। अब तुम बड़े कैसे होगे?.....हा ,हा जादू से.....छोटा जय फिर से पर्दे के पीछे जाता है और ,इस बाद कहता है मैं अब केला खाने जा रहा है,जिससे में बड़ा हो जाऊंगा ।फिर वह खुद सबके सामने जाता है
किसी को यकीन नहीं हो रहा था?सभी ये जादू देखने के बाद ऐसा सोचने लगते थे कि अगर वह हानिकारकर चीजे जाएंगे तो छोटे हो जाएंगे,इस वजह से अब सभी पोस्तिक चीजे खाने लगते है
जय और छोटे जय को एकदम से महसूस हुआ कि सूर्य जल्दी ही डूबने वाला है।वे बगीचे में गए और छोटा जय जहा से आया था वहीं गए।छोटा जय(चाबी) जाने लगा तो जय का अंगूठा पकड़कर कहने लगा,"तुम बहुत अच्छे दोस्त हो जय। अपनी चीजों का ध्यान रखा करो।हमारी बस्ती में बहुत भीड़ होती जा रही है।
2 Comments:
Ye ek bahot achchi kayani he 👍 sach me apne acha likha he.
Tnx
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