Hindi story हिंदी कहानियाँ
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Story या फिर हिंदी कहानियाँ जब भी हम सब यह वर्ड पढ़ते या सुनते है तो समझ जाते है की इस हिंदी कहानि के पीछे जरूर किसी की असल जिंदगी की कहानी हैं।
आज काफि दिनों के बाद मैं आप सब से फिर से एक कहानी share करना चाहती हूँ यह कहानी मेरी ऑफिस की एक mam की हैं। इस कहानी को लिखते वक्त मे खुद को उनकी जगह रखना चाहती हुँ।........
"कहते हैं न जख्म का पता तभी चलता हैं जब वो जख्म खुद को लगा हो"!
हिंदी कहानियाँ hindi story
मैं सरस्वती मेरा नाम मेरे पिता ने बहुत ही प्यार से रखे थे। बचपन मे जभी कोई मुझे मेरा नाम लेके पुकारते तो मै बड़ी ही खुश हो जाती मानो जैसे कोई मेरी पूजा करने को मुझे बुला रहा हो!
अब इतना तो होश नही था आखिर थी तो बच्ची, " सभी दोस्तो को भी कहती फिरती की मै एक देवी हुँ" मैं तुम सबकी इच्छा पूरी कर सकती हुँ। वो सभी मेरी बातो मे आकर अपनी - अपनी इच्छा मुझे बताते और मे बड़े ही मजे से खुद को देवी समझ कर sabhi को आशिर्वाद देती थी।
फिर जैसे - जैसे मै बड़ी होतीं गयी वैसे मेरा बचपन खतम होता गया। अब तो मुझे मेरे नाम से ही नफरत सी होने लगी थी। जहाँ भी मैं अपना नाम बताती, तो सभी कहने लगते। " क्या yrr तुम्हरा नाम लेते वक्त ऐसा लगता हैं की हम सरस्वती देवी का अपमान कर रहे है???
इसलिए मैंने अपना नाम सरस्वती से सरू रख लिया ताकि अब किसी को भी मेरा नाम लेते वक्त किसी देवी का अपमान ना करना पड़े।
उम्र अब इतनी हो चुकी थी की माता - पिता ने शादी करवा दिये। घर परिवार सब अच्छा मिला सभी के प्यार से कभी भी अपने घर वालो की कमी का एहसास नही हुआ।
लेकिन ये खुशिया जादा समय तक नही रहा, भगवान ने मुझसे मेरी सबसे प्यरी चीज़ छीन लिए मेरे पति को ही खुद के पास बुला कर मुझसे दूर कर दिया।
उनके जाने के बाद घर वालो का प्यार भी अब मुझसे दूर होने लगा था, तो मैंने खुद को सभी से अलग करने का फैसला किया और मैं अपने बेटे के साथ वहा से निकल गयी।
कई दिनो तक ऐसे ही यहा - वहा भटकने के बाद एक घर मे रहने को मिला और मेरी पढ़ाई अच्छी थी इसलिए घर की मालकिन ने मुझे एक काम भी दिलवा दिये।
मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी मैं कभी नही सोचा था की मुझे अपने इतनी छोटी उम्र मे इतना सब सीखने और देखने को मिलेगा। लेकिन मैंने कभी भी हार नही मानी और हमेशा अपने हर problem से लड़ती रही।
परिवार वालो से दूर जरूर हुई थी, लेकिन कभी भी रिस्ता नही तोड़ा, जभी भी सभी को मेरी जरूर हुई तो मैंने हमेसा मदद किया।
जभी बारिश का मोशन आता तो हमेशा मेरी पुरानी यादे मेरी आखो के सामने आ जाता, मेरे पति हमेसा मुझे "सर सर सरू पानी भरूँ" ऐसे ही बुलाते थे। उनके जाने के बाद मुझे अपने बेटे को एक पिता और मां दोनों का प्यार देना था।
इसलिए मैंने कभी भी खुद के तकलीफ को अपने बेटे तक नही आने दिया, सुबह उठ कर खाना बनाकर बच्चे को school🎒📚 के लिए तैयार करना फिर वहा से office जाना फिर शाम मे घर आके फिर से सब काम करना।
यह सब अब ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन चुका था, आज मेरी उम्र 40 year है।
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ज़िन्दगी ने इतना सब दिखा दिया की अब किसी भी problem से डर नही लगता। अब तो बस बेटे की शादी करवा कर थोड़ा मैं भी अपनी बहु का सुख लेना चाहती हूँ। कोई तो हो जो अब मुझे बना कर खिलाये, और कहे बस माँ आज आप आराम करिये काम सारा मैं कर लुंगी।
ये ही कुछ मेरी ज़िन्दगी की छोटी - मोटी कहानियाँ है जो आज मैंने आप सब से ज़हीर किया है।
ना जाने कितनी महिला ऐसी होंगी जो आज भी ऐसे ही मेरी तरह अपनी ज़िन्दगी के problem के साथ लड़ती होगी।
जाते - जाते बस इतना ही कहना चाहूँगी की लड़कियाँ देवी का ही रूप होती है तो उन्हे सरस्वती के नाम से पुकारते वक्त देवी का अपमान कैसे हो जाता है।
कैसी थी यह हिंदी कहानी hindi story इस कहानी से क्या सिख मिली आप सभी को plzzz कमेंट me जरूर बताइयेगा।
और इस हिंदी कहानी को जादा से जादा share करीये ताकि किसी और महिला को किसी और के चलते या फिर किसी दूसरे के वजे से खुद के नाम को ना बदलना पड़े।
यह हिंदी कहानी Hindi storyलिखने का मेरा एक ही मकसद था की हर किसी को हक है अपनें नाम के साथ जीने का फिर चाहे वो नाम कैसा भी हो।